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हाईकोर्ट ने मृतक आश्रित कोटे में नियुक्त अप्रशिक्षित शिक्षकों के पेंशन विवाद को लेकर दाखिल याचिकाओं की सूची के संख्या बताने लगाई फटकार

इलाहाबाद : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मृतक आश्रित कोटे में एक अप्रैल, 2005 के पहले नियुक्त अप्रशिक्षित अध्यापकों के पेंशन विवाद को लेकर दाखिल याचिकाओं की सूची के बजाय सचिव बेसिक शिक्षा परिषद की ओर से विभाग में दाखिल अर्जियों की संख्या बताने पर गहरा व्यक्त किया है।
कोर्ट ने बेसिक शिक्षा सचिव उप्र को याचिकाओं की संख्या सहित हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया है अगली सुनवाई छह नवंबर को होगी। कोर्ट ने सुनवाई के समय सचिव को हाजिर होने का आदेश दिया है।

यह आदेश न्यायमूर्ति एसपी केशरवानी ने वाराणसी के महेश प्रसाद व अन्य की याचिका पर दिया है। याचिका पर अधिवक्ता संतोष पांडेय ने बहस की। याची का कहना है कि अगस्त 2009 तक उनका जीपीएफ कटा है। उसके बाद रोक दिया गया। कहा कि उसे पुरानी पेंशन पाने का अधिकार है, जबकि राज्य सरकार का कहना है कि 15 नवंबर, 2011 को अप्रशिक्षित अध्यापक जो कि आश्रित कोटे में नियुक्त हैं उन्हें प्रशिक्षण प्राप्त करने पर स्थायी नियुक्ति देने का निर्णय लिया गया है। इसलिए एक अप्रैल 2005 को कार्यरत सभी शिक्षक नई पेंशन नीति पाने के हकदार हैं।

कोर्ट के सामने प्रश्न यह है कि याचीगण नई या पुरानी, किस पेंशन नीति से पेंशन पाने के हकदार हैं। कोर्ट ने कहा कि इसी मामले में सैकड़ों याचिकाएं लंबित हैं जिनकी एक साथ सुनवाई किया जाना जरूरी है। कोर्ट ने सरकार से हाईकोर्ट में लंबित याचिकाओं की सूची मांगी। सचिव बेसिक शिक्षा परिषद इलाहाबाद संजय सिन्हा ने हलफनामा दाखिल कर कहा कि विभाग में आश्रित कोटे में 1020 अर्जियां लंबित हैं। इस पर कोर्ट ने कड़ी नाराजगी प्रकट की और कहा कि मांगी गई सूचना क्यों नहीं दी गई। क्यों न भारी हर्जाना लगाया जाए। सचिव से स्पष्टीकरण मांगा कि आदेश का पालन क्यों नहीं किया गया।


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