इलाहाबाद 1माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड उप्र में सिर्फ बोर्ड शून्य नहीं है, बल्कि 2017 की भर्तियां भी शून्य होने जा रही हैं। पहले विधानसभा चुनाव की आचार संहिता के नाम पर भर्ती का विज्ञापन नहीं जारी किया गया, बाद में नियुक्तियों के परिणाम व चयन पर रोक लगी रही।
अब चयन बोर्ड का पुनर्गठन हो रहा है, वह अस्तित्व में आने के बाद ही इस पर अंतिम फैसला होगा। 1प्रदेश के अशासकीय माध्यमिक कालेजों के लिए प्रधानाचार्य, प्रवक्ता व स्नातक शिक्षकों के चयन की प्रक्रिया फिर पटरी से उतर रही है। दो साल पहले हीरालाल गुप्ता के चयन बोर्ड का अध्यक्ष बनने के बाद 2011 व 2013 की भर्तियों के लिए पहले लिखित परीक्षा हुई और फिर साक्षात्कार कराकर प्रवक्ता व स्नातक शिक्षकों का चयन हुआ, हालांकि 2011 की भर्ती के परिणाम और साक्षात्कार की प्रक्रिया अब भी अधर में है। पिछले वर्ष चयन बोर्ड ने 2016 की भर्ती के लिए नौ हजार से अधिक पदों के लिए पहली बार ऑनलाइन आवेदन लिए थे। उसकी लिखित परीक्षा होना है। लंबे समय से ठप चल रहे चयन बोर्ड की व्यवस्था सुचारु करने के लिए 2015 में भर्तियां न करके उसे शून्य वर्ष घोषित किया गया था। 1इससे यह भी संदेश दिया गया कि अब नियमित वर्ष के हिसाब से भर्तियां होंगी, लेकिन 2017 में भर्ती की रिक्तियां घोषित न होने से यह वर्ष भी शून्य हो जाना लगभग तय है। 1अधियाचन के लिए बना साफ्टवेयर 1चयन बोर्ड ने जिला विद्यालय निरीक्षक, कालेजों के प्रबंधक व प्रधानाचार्य से रिक्तियों का लिखित अधियाचन मांगने की जगह नया साफ्टवेयर बनाया और इसी पर कालेज प्रबंधक व प्रधानाचार्यो को रिक्ति की सूचना देने का निर्देश हुआ। जिला विद्यालय निरीक्षकों को इसके सत्यापन का जिम्मा सौंपा गया। यह प्रक्रिया इसलिए शुरू हुई ताकि कालेजों के रिक्त पद गुपचुप न भरे जा सकें। इससे भी 2017 की भर्ती का विज्ञापन जारी करने में देरी हुई है।’>>माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड उप्र ने समय पर नहीं निकाली रिक्तियां 1’>>चुनाव की आचार संहिता व भर्तियों में रोक के बाद इस्तीफों से प्रक्रिया ठपचयन बोर्ड में हर सत्र का चलना जरूरी है। इस वर्ष की भर्तियां नहीं निकाली जा सकी है, इसके शून्य होने की पूरी उम्मीद है, लेकिन इस पर फैसला नया बोर्ड लेगा, साथ ही 2017 के शून्य वर्ष होने से भर्तियों पर असर नहीं पड़ेगा रिक्तियां अगले वर्ष जुड़ जाएंगी1नवल किशोर, उप सचिव चयन बोर्डचयन बोर्ड का पुनर्गठन होने के बाद नए अध्यक्ष से मिलकर यह अनुरोध किया जाएगा कि 2017 की भर्तियों का विज्ञापन निकाला जाए, ताकि चयन में निरंतरता बनी रहे। संस्था चल पड़ी है उसे बीच में रोका जाना ठीक नहीं है1विक्की खान, प्रतियोगी छात्र
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अब चयन बोर्ड का पुनर्गठन हो रहा है, वह अस्तित्व में आने के बाद ही इस पर अंतिम फैसला होगा। 1प्रदेश के अशासकीय माध्यमिक कालेजों के लिए प्रधानाचार्य, प्रवक्ता व स्नातक शिक्षकों के चयन की प्रक्रिया फिर पटरी से उतर रही है। दो साल पहले हीरालाल गुप्ता के चयन बोर्ड का अध्यक्ष बनने के बाद 2011 व 2013 की भर्तियों के लिए पहले लिखित परीक्षा हुई और फिर साक्षात्कार कराकर प्रवक्ता व स्नातक शिक्षकों का चयन हुआ, हालांकि 2011 की भर्ती के परिणाम और साक्षात्कार की प्रक्रिया अब भी अधर में है। पिछले वर्ष चयन बोर्ड ने 2016 की भर्ती के लिए नौ हजार से अधिक पदों के लिए पहली बार ऑनलाइन आवेदन लिए थे। उसकी लिखित परीक्षा होना है। लंबे समय से ठप चल रहे चयन बोर्ड की व्यवस्था सुचारु करने के लिए 2015 में भर्तियां न करके उसे शून्य वर्ष घोषित किया गया था। 1इससे यह भी संदेश दिया गया कि अब नियमित वर्ष के हिसाब से भर्तियां होंगी, लेकिन 2017 में भर्ती की रिक्तियां घोषित न होने से यह वर्ष भी शून्य हो जाना लगभग तय है। 1अधियाचन के लिए बना साफ्टवेयर 1चयन बोर्ड ने जिला विद्यालय निरीक्षक, कालेजों के प्रबंधक व प्रधानाचार्य से रिक्तियों का लिखित अधियाचन मांगने की जगह नया साफ्टवेयर बनाया और इसी पर कालेज प्रबंधक व प्रधानाचार्यो को रिक्ति की सूचना देने का निर्देश हुआ। जिला विद्यालय निरीक्षकों को इसके सत्यापन का जिम्मा सौंपा गया। यह प्रक्रिया इसलिए शुरू हुई ताकि कालेजों के रिक्त पद गुपचुप न भरे जा सकें। इससे भी 2017 की भर्ती का विज्ञापन जारी करने में देरी हुई है।’>>माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड उप्र ने समय पर नहीं निकाली रिक्तियां 1’>>चुनाव की आचार संहिता व भर्तियों में रोक के बाद इस्तीफों से प्रक्रिया ठपचयन बोर्ड में हर सत्र का चलना जरूरी है। इस वर्ष की भर्तियां नहीं निकाली जा सकी है, इसके शून्य होने की पूरी उम्मीद है, लेकिन इस पर फैसला नया बोर्ड लेगा, साथ ही 2017 के शून्य वर्ष होने से भर्तियों पर असर नहीं पड़ेगा रिक्तियां अगले वर्ष जुड़ जाएंगी1नवल किशोर, उप सचिव चयन बोर्डचयन बोर्ड का पुनर्गठन होने के बाद नए अध्यक्ष से मिलकर यह अनुरोध किया जाएगा कि 2017 की भर्तियों का विज्ञापन निकाला जाए, ताकि चयन में निरंतरता बनी रहे। संस्था चल पड़ी है उसे बीच में रोका जाना ठीक नहीं है1विक्की खान, प्रतियोगी छात्र
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