नई दिल्ली:केंद्रीय कर्मियों को प्रोन्नति में आरक्षण देने का प्रावधान रद करने के दिल्ली हाई कोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे दी गई है। केंद्रीय सचिवालय अनुसूचित जाति/जनजाति कर्मचारी संघ ने फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की है।
याचिका में मामले की मेरिट पर सुनवाई होने तक हाई कोर्ट के आदेश पर अंतरिम रोक लगाने की मांग भी की गई है। सुप्रीम कोर्ट याचिका पर शुक्रवार को सुनवाई करेगा।
मालूम हो कि दिल्ली हाई कोर्ट ने गत 23 अगस्त को केंद्र सरकार के कार्मिक एवं पेंशन विभाग (डीओपीटी) का 13 अगस्त, 1997 का आदेश (ऑफिस मेमोरेंडम) रद कर दिया था। इस मेमोरेंडम के जरिये एससी/एसटी वर्ग के केंद्रीय कर्मियों को प्रोन्नति में आरक्षण का प्रावधान था। दिल्ली हाई कोर्ट के फैसले के बाद से केंद्रीय नौकरियों में प्रोन्नति में आरक्षण खत्म हो गया है। हाई कोर्ट ने सरकारी आदेश रद करते हुए सुप्रीम कोर्ट के पांच न्यायाधीशों के एम. नागराज के फैसले को आधार बनाया है। इसमें कहा गया है कि प्रोन्नति में आरक्षण देने से पहले पिछड़ेपन और अपर्याप्त प्रतिनिधित्व के आंकड़े जुटाने होंगे।
संघ ने सुप्रीम कोर्ट से हाई कोर्ट का आदेश रद करने की मांग की है। इंद्रा साहनी के फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने प्रोन्नति में आरक्षण की मनाही की थी। हालांकि, कहा था कि यह 16 नवंबर, 1992 से पांच साल के लिए जारी रखा जा सकता है। यानी प्रोन्नति में आरक्षण सिर्फ 15 नवंबर, 1997 तक जारी रह सकता था। इंद्रा साहनी के फैसले के बाद सरकार ने 1995 में संविधान में 77वां संशोधन कर अनुच्छेद 16 में प्रावधान (4ए) जोड़ा और एससी/एसटी को प्रोन्नति में आरक्षण की आगे की राह खोली।
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याचिका में मामले की मेरिट पर सुनवाई होने तक हाई कोर्ट के आदेश पर अंतरिम रोक लगाने की मांग भी की गई है। सुप्रीम कोर्ट याचिका पर शुक्रवार को सुनवाई करेगा।
मालूम हो कि दिल्ली हाई कोर्ट ने गत 23 अगस्त को केंद्र सरकार के कार्मिक एवं पेंशन विभाग (डीओपीटी) का 13 अगस्त, 1997 का आदेश (ऑफिस मेमोरेंडम) रद कर दिया था। इस मेमोरेंडम के जरिये एससी/एसटी वर्ग के केंद्रीय कर्मियों को प्रोन्नति में आरक्षण का प्रावधान था। दिल्ली हाई कोर्ट के फैसले के बाद से केंद्रीय नौकरियों में प्रोन्नति में आरक्षण खत्म हो गया है। हाई कोर्ट ने सरकारी आदेश रद करते हुए सुप्रीम कोर्ट के पांच न्यायाधीशों के एम. नागराज के फैसले को आधार बनाया है। इसमें कहा गया है कि प्रोन्नति में आरक्षण देने से पहले पिछड़ेपन और अपर्याप्त प्रतिनिधित्व के आंकड़े जुटाने होंगे।
संघ ने सुप्रीम कोर्ट से हाई कोर्ट का आदेश रद करने की मांग की है। इंद्रा साहनी के फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने प्रोन्नति में आरक्षण की मनाही की थी। हालांकि, कहा था कि यह 16 नवंबर, 1992 से पांच साल के लिए जारी रखा जा सकता है। यानी प्रोन्नति में आरक्षण सिर्फ 15 नवंबर, 1997 तक जारी रह सकता था। इंद्रा साहनी के फैसले के बाद सरकार ने 1995 में संविधान में 77वां संशोधन कर अनुच्छेद 16 में प्रावधान (4ए) जोड़ा और एससी/एसटी को प्रोन्नति में आरक्षण की आगे की राह खोली।
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