Ticker

6/recent/ticker-posts

Ad Code

दैनिक कर्मी को नियमित होने का अधिकार नहीं, खुली प्रतियोगिता से भरे जाएँ पद

दैनिक कर्मी को नियमित होने का अधिकार नहीं, खुली प्रतियोगिता से भरे जाएँ पद
इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने कहा है कि लोक पद खुली प्रतियोगिता से भरे जाने चाहिए। ऐसे कार्यरत कर्मियों को नियमित कर सीधी भर्ती पर वरीयता नहीं दी जा सकती, जिन्हें बिना विधिक प्रक्रिया अपनाये नियुक्त किया गया है। कोर्ट ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के खगेश कुमार केस के फैसले के तहत रजिस्ट्रेशन क्लर्क पद पर कार्यरत दैनिककर्मियों को नियमित किये जाने का कोई वैधानिक अधिकार नहीं है। यह आदेश न्यायमूर्ति एसपी केशरवानी ने अविनाश चन्द्र की याचिका पर बुधवार को दिया है। याची 1988 में दैनिककर्मी के रूप में नियुक्त हुआ था। अवधि पूरी होने के बाद हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर उस पर पारित अन्तरिम आदेश से कार्यरत रहा। दैनिक कर्मियों के नियमितीकरण का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा। आईजी रजिस्ट्रेशन ने बाद में बनी नियमावली का गलत प्रयोग करते हुए सैकड़ों की सेवा नियमित कर दी थी। ऐसा करते समय नियमों की अनदेखी की गयी। सुप्रीम कोर्ट ने खगेश कुमार केस में कहा गया है कि जो दैनिककर्मी 29 जून 91 व 9 जुलाई 98 को कार्यरत नहीं थे, उन्हें नियमित होने का अधिकार नहीं है। इस तिथि के बीच नियुक्त कर्मियों को ही नियमित करने का नियम बना, किन्तु नियमित करने में मनमानी की गयी। कोर्ट ने कहा कि प्रतियोगिता के बगैर नियुक्त कर्मियों को समायोजित या नियमित करने से योग्य व्यक्तियों के अवसर में कमी आयेगी। दैनिक कर्मियों को पद पर बने रहने का कोई अधिकार प्राप्त नहीं है। क्योंकि नियुक्ति प्रक्रिया अपनाये बगैर इनकी नियुक्ति की गयी थी। कोर्ट ने कहा कि टर्म समाप्त होने पर भी पद पर कार्य करते रहने से भी किसी को नियमित होने का अधिकार नहीं मिल जाता। उन्हें स्थायी सेवा में नहीं रखा जा सकता। कोर्ट ने याचिका खारिज कर दी।
द सहारा न्यूज ब्यूरोइलाहाबाद।


sponsored links:
ख़बरें अब तक - 72825 प्रशिक्षु शिक्षकों की भर्ती - Today's Headlines

إرسال تعليق

0 تعليقات

latest updates

latest updates

Random Posts