आगरा। शिक्षामित्रों ने बेसिक शिक्षा अधिकारी अर्चना
गुप्ता को ज्ञापन सौंपा है। शिक्षामित्रों का कहना है कि शिक्षामित्रों को
मूल विद्यालयों में तैनात किया जाए।
बीएसए से कहा कि उन्हें महज दस हजार रुपये मानदेय के रूप में दिए जा रहे हैंं समायोजित विद्यालयों में तैनाती होने से रोजाना 120 से 150 किलोमीटर दौड़ लगानी पड़ रही है।
सुप्रीम कोर्ट कर चुका है नियुक्तियां रद
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश में सहायक शिक्षकों के रूप में 1.37 लाख से अधिक शिक्षामित्रों की नियुक्ति को रद कर दिया था। इस बात को चार महीने हो चुके हैं, लेकिन अभी तक उन्हें पहले पद के लिए नए ज्वाइनिंग लेटर नहीं मिले हैं। शिक्षामित्रों ने दलील दी है कि सरकारी निर्देशों के मुताबिक सुर्वोच्च न्यायालय के फैसले में शामिल था कि सभी शिक्षा मित्रा अपने पसंदीदा स्कूलों का चयन कर सकते हैं, जिसमें उन्हें काम करने में सहजता हो। लेकिन शिक्षा विभाग ने निर्देशों का पालन नहीं किया है। इसके चलते पिछले कई महीनों से शिक्षा मित्रा अपने पिछले स्कूलों में शामिल नहीं हो पाए हैं। शिक्षामित्रों का कहना है कि सरकार ने मानदेय भी कम कर दिया है। शिक्षामित्र दस हजार रुपये महीने में रोजना दो सौ किलोमीटर तक दूरी तय कर पढ़ाने जाते हैं। जिसमें उनके दो सौ से लेकर तीन सौ रुपये खर्च हो जाते हैं। सरकार उन्हें यात्रा भत्ता भी नहीं दे रही है।
लंबी दूरी की यात्रा करने को होते हैं मजबूर
25,000 से अधिक ऐसे शिक्षक हैं जो हर दिन अपने स्कूलों तक पहुंचने के लिए लंबी दूरी की यात्रा करने के लिए मजबूर हैं। वाहन पर ही लगभग 10,000 रुपये प्रति माह खर्च हो जाते हैं, जो उनके मासिक मानदेय के बराबर है। रवि सिंह का कहना है कि 160 किमी की यात्रा करते हैं और एक ही ब्लॉक में अपने स्कूल में आने के लिए 280 रुपए खर्च करते हैं। वहीं खंदोली ब्लॉक के शिक्षामित्र राजीव का कहना है कि जगनेर ब्लॉक के होलिपुरा में प्राथमिक विद्यालय में शिक्षा मित्रा के रूप में काम कर रहे हैं, काम के अपने स्थान तक पहुंचने के लिए रोजाना 300 रुपये खर्च करके 185 किलोमीटर का सफर करते हैं।
नए नियुक्ति पत्र नहीं मिले
शिक्षा शिक्षा संघ के अध्यक्ष वीरेन्द्र सिंह छौंकर ने बताया कि हमें किसी भी नए नियुक्ति पत्र नहीं मिला है। इसलिए, हमें उसी स्कूल में अपनी नौकरी करने जाना पड़ रहा है, जहां हम सहायक शिक्षकों के रूप में शामिल हुए थे। ये स्कूल हमारी पिछली पोस्टिंग से काफी दूर हैं। इससे पहले, हम सहायक शिक्षक का वेतन प्राप्त करने के साथ-साथ लंबी दूरी की यात्रा करते थे तब पूरा वेतन मिल रहा था। लेकिन अब हमें अपने स्कूलों में आने के लिए अपना पूरा वेतन खर्च करना पड़ रहा है। गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने 25 जुलाई को शिक्षा मित्रों का समायोजन रद किया था।
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बीएसए से कहा कि उन्हें महज दस हजार रुपये मानदेय के रूप में दिए जा रहे हैंं समायोजित विद्यालयों में तैनाती होने से रोजाना 120 से 150 किलोमीटर दौड़ लगानी पड़ रही है।
सुप्रीम कोर्ट कर चुका है नियुक्तियां रद
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश में सहायक शिक्षकों के रूप में 1.37 लाख से अधिक शिक्षामित्रों की नियुक्ति को रद कर दिया था। इस बात को चार महीने हो चुके हैं, लेकिन अभी तक उन्हें पहले पद के लिए नए ज्वाइनिंग लेटर नहीं मिले हैं। शिक्षामित्रों ने दलील दी है कि सरकारी निर्देशों के मुताबिक सुर्वोच्च न्यायालय के फैसले में शामिल था कि सभी शिक्षा मित्रा अपने पसंदीदा स्कूलों का चयन कर सकते हैं, जिसमें उन्हें काम करने में सहजता हो। लेकिन शिक्षा विभाग ने निर्देशों का पालन नहीं किया है। इसके चलते पिछले कई महीनों से शिक्षा मित्रा अपने पिछले स्कूलों में शामिल नहीं हो पाए हैं। शिक्षामित्रों का कहना है कि सरकार ने मानदेय भी कम कर दिया है। शिक्षामित्र दस हजार रुपये महीने में रोजना दो सौ किलोमीटर तक दूरी तय कर पढ़ाने जाते हैं। जिसमें उनके दो सौ से लेकर तीन सौ रुपये खर्च हो जाते हैं। सरकार उन्हें यात्रा भत्ता भी नहीं दे रही है।
लंबी दूरी की यात्रा करने को होते हैं मजबूर
25,000 से अधिक ऐसे शिक्षक हैं जो हर दिन अपने स्कूलों तक पहुंचने के लिए लंबी दूरी की यात्रा करने के लिए मजबूर हैं। वाहन पर ही लगभग 10,000 रुपये प्रति माह खर्च हो जाते हैं, जो उनके मासिक मानदेय के बराबर है। रवि सिंह का कहना है कि 160 किमी की यात्रा करते हैं और एक ही ब्लॉक में अपने स्कूल में आने के लिए 280 रुपए खर्च करते हैं। वहीं खंदोली ब्लॉक के शिक्षामित्र राजीव का कहना है कि जगनेर ब्लॉक के होलिपुरा में प्राथमिक विद्यालय में शिक्षा मित्रा के रूप में काम कर रहे हैं, काम के अपने स्थान तक पहुंचने के लिए रोजाना 300 रुपये खर्च करके 185 किलोमीटर का सफर करते हैं।
नए नियुक्ति पत्र नहीं मिले
शिक्षा शिक्षा संघ के अध्यक्ष वीरेन्द्र सिंह छौंकर ने बताया कि हमें किसी भी नए नियुक्ति पत्र नहीं मिला है। इसलिए, हमें उसी स्कूल में अपनी नौकरी करने जाना पड़ रहा है, जहां हम सहायक शिक्षकों के रूप में शामिल हुए थे। ये स्कूल हमारी पिछली पोस्टिंग से काफी दूर हैं। इससे पहले, हम सहायक शिक्षक का वेतन प्राप्त करने के साथ-साथ लंबी दूरी की यात्रा करते थे तब पूरा वेतन मिल रहा था। लेकिन अब हमें अपने स्कूलों में आने के लिए अपना पूरा वेतन खर्च करना पड़ रहा है। गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने 25 जुलाई को शिक्षा मित्रों का समायोजन रद किया था।
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