पीसीएस 2015 की गड़बड़ियों से शुरू होगी जांच!, सीबीआइ को मिले कई सुबूत, पूर्व और वर्तमान समिति तक हो सकता है जांच का दायरा

इलाहाबाद : उप्र लोकसेवा आयोग से पांच साल में हुई सभी भर्तियों की जांच कर रही सीबीआइ सबसे पहले पीसीएस 2015 की जांच शुरू कर सकती है। धांधली के सबसे अधिक आरोप इसी परीक्षा में लगे थे। तत्कालीन अध्यक्ष डॉ. अनिल यादव की कार्यशैली पर अंगुलियां उठी थीं।
प्रारंभिक से लेकर मुख्य परीक्षा तक कई गंभीर
सवाल प्रतियोगियों की तरफ से उठाए गए थे। विगत दिनों में सीबीआइ टीम को इसी परीक्षा से संबंधित कई लिखित शिकायतें भी तमाम अभ्यर्थियों से मिली हैं।1दरअसल पीसीएस 2015 की मुख्य परीक्षा की कापियों के मूल्यांकन पर प्रतियोगी छात्र संघर्ष समिति ने विरोध जताया था। समिति के मीडिया प्रभारी अवनीश पांडेय की ओर से कहा गया था कि तत्कालीन अध्यक्ष डा. अनिल कुमार यादव ने कापियों का मूल्यांकन अयोग्य विशेषज्ञों से कराया है। स्केलिंग में अनियमितता बरते जाने का भी आरोप था। प्रतियोगियों ने कापियों के मूल्यांकन को भरोसेमंद नहीं बताया था। मांग थी कि योग्य विशेषज्ञों से नए सिरे से मूल्यांकन कराने के बाद ही परिणाम घोषित किया जाए। यह परीक्षा शुरू से ही विवादित रही। 29 मार्च को 2015 को प्रारंभिक परीक्षा हुई थी। लखनऊ में जीएस का पेपर आउट हो गया था। प्रतियोगियों ने पूरी परीक्षा निरस्त करने की मांग की थी जबकि अध्यक्ष डा. अनिल यादव ने सिर्फ एक पेपर की परीक्षा ही रद कर 10 मई को पुनर्परीक्षा कराई थी। प्रारंभिक परीक्षा का परिणाम जल्दबाजी में 25 दिन बाद ही पांच जून को घोषित कर दिया गया था। इसके बाद भी परीक्षा में गड़बड़ी के आरोप लगातार लगते रहे। 1इन दिनों आयोग में सीबीआइ टीम भर्तियों से संबंधित सभी डाटा एकत्र कर रही है। सूत्र बताते हैं कि इस परीक्षा से ही सीबीआइ जांच की शुरूआत कर सकती है। प्रतियोगी छात्र संघर्ष समिति की तरफ से दावा किया गया है कि सीबीआइ को पीसीएस 2015 परीक्षा में गड़बड़ी से संबंधित जो सबूत मिले हैं उनका ताल्लुक पूर्व अध्यक्ष ही नहीं, वर्तमान समिति से भी है। ऐसे में सबूत के आधार पर जांच जल्दी ही शुरू होने के आसार हैं।

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