इलाहाबाद : योगी सरकार ने प्रदेश के तीन भर्ती आयोगों को पुनर्गठित करने
को आवेदन लिए। उसमें अधीनस्थ सेवा आयोग चल पड़ा है। उप्र उच्चतर शिक्षा
सेवा आयोग भी आगे बढ़ने की तैयारी में है।
वहीं, माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन
बोर्ड में नए अध्यक्ष व सदस्यों के चयन की गुत्थी सुलझने का नाम नहीं ले
रही है। खास बात यह है कि उच्चतर व माध्यमिक के लिए ऑनलाइन आवेदन लेने की
प्रक्रिया साथ चली लेकिन, चयन बोर्ड को अफसरों ने हाशिए पर रखा है।
शासन ने चयन बोर्ड के अध्यक्ष व सदस्य पदों के मिले आवेदनों की छंटनी और
उनके संबंध में शिक्षा निदेशालय से गोपनीय आख्या तक मंगा चुका है। यही नहीं
तय पदों के सापेक्ष नाम भी चिह्न्ति हो चुके हैं, इसके बाद भी अंतिम बैठक
करके पुनर्गठन नहीं हो रहा है। इसके लिए प्रतियोगी पिछले कई महीने से
निरंतर आंदोलन कर रहे हैं और कई बार कानून व्यवस्था बिगड़ने तक की नौबत आ
गई। अपर मुख्य सचिव संजय अग्रवाल अब तक कई बार प्रतियोगियों को पुनर्गठन की
तारीखें दी जा चुकी है लेकिन, एक भी सही साबित नहीं हुई हैं। अब होली बाद
फिर आंदोलन बड़े पैमाने पर होना है।1चयन बोर्ड से अशासकीय माध्यमिक कालेजों
में प्रधानाचार्य, प्रवक्ता, एलटी ग्रेड शिक्षकों का चयन होता है। इधर के
वर्षो में केवल 2013 की भर्ती ही किसी तरह पूरी हो सकी है। 2011 के परीक्षा
परिणाम और साक्षात्कार लंबित हैं, जबकि 2016 की लिखित परीक्षा नई टीम ही
कराएगा। प्रधानाचार्यो का चयन यहां लंबे समय से नहीं हो सका है। करीब 20
हजार भर्तियां पुनर्गठन के फेर में फंसी हैं। चयन बोर्ड सूत्रों की मानें
तो इसमें से 12720 पद विज्ञापित हो चुके हैं और ढाई हजार से अधिक अधियाचन आ
चुके हैं। यह अधियाचन उन कालेजों ने भेजे हैं, जहां पर शिक्षकों की बेहद
कमी है। चयन बोर्ड गठित होने के बाद तेजी से अधियाचन आना तय है। यही नहीं
मार्च में अभी और शिक्षक सेवानिवृत्त होंगे। शासन की अनदेखी से हर कोई दंग
है, क्योंकि उप मुख्यमंत्री व बड़े अफसर जहां एक ओर यह दावा कर रहे हैं कि
नए सत्र में पठन-पाठन पर विशेष जोर रहेगा, वहीं अशासकीय माध्यमिक कालेजों
के खाली पदों की ओर किसी का ध्यान नहीं है। नया सत्र शुरू होने में एक माह
का समय बचा है। ऐसे में बिना शिक्षकों के पढ़ाई कैसे बेहतर हो सकेगी।
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