इलाहाबाद : उप्र लोक सेवा आयोग से पांच साल के दौरान हुई सभी भर्तियों
के कंप्यूटर रिकार्ड ने जांच की राह आसान कर दी है। सीबीआइ के फोरेंसिक और
कंप्यूटर विशेषज्ञों ने भर्तियों में पूर्व अध्यक्ष की ओर से उठाये गए सभी
कदमों की पड़ताल कर एसपी राजीव रंजन को सौंप दिया है।
आसार जताए जा रहे हैं
कि सीबीआइ
अफसर मंगलवार को इलाहाबाद आकर आयोग के पूर्व और वर्तमान
अधिकारियों से पूछताछ कर सकते हैं। कई लोगों को चार्जशीट भी देने की
तैयारी कर ली गई है।
सीबीआइ के फोरेंसिक और कंप्यूटर विशेषज्ञों ने आयोग के गोपन विभाग से नौ
दिनों में जितना भी डाटा अपनी विशेष डिवाइस में स्थानांतरित किया, दिल्ली
में उस पर गहनता से पड़ताल हुई है। सीबीआइ के सूत्र बताते हैं कि भर्तियों
में पूर्व परीक्षा समिति की ओर से जितने भी मनमाने फैसले लिए गए थे उसमें
कई ऐसे तथ्य सामने आए हैं जिसमें सियासी दखल भी रहा। 1पूर्व अध्यक्ष डॉ.
अनिल यादव के अलावा कई सदस्यों और वर्तमान में भी उप्र लोक सेवा आयोग में
पदस्थ अनुभाग अधिकारियों की संलिप्तता पता चली है। डॉ. अनिल यादव के
कार्यकाल में मनमाने तरीके से विभिन्न सेक्शन इंचार्ज बनाए गए अधिकारी
सीबीआइ जांच की जद में आ सकते हैं। पीसीएस 2015 में व्यापक रूप से गड़बड़ी
ही नहीं, बल्कि उससे पहले पीसीएस 2011 की मुख्य परीक्षा में मनमाने तरीके
से आरक्षण व्यवस्था लागू करने, पीसीएस 2012 में परीक्षा केंद्र आनन फानन
दूर के जिलों में करने के अलावा वन टाइम पासवर्ड की व्यवस्था करने, पीसीएस
2013 में कई प्रश्नों के उत्तर गलत जारी करने और पीसीएस 2014 में
अनुक्रमांक के आधार पर अंतिम परिणाम जारी के मामले में सीबीआइ को जांच की
दिशा मिली है। इन सभी फैसलों पर सीबीआइ अफसर आयोग में कार्यरत लोगों से भी
शीघ्र पूछताछ करेंगे। मंगलवार को सीबीआइ के एसपी राजीव रंजन के नेतृत्व में
जांच टीम के फिर आयोग पहुंचने की संभावना जताई गई है, जबकि इस बीच आयोग से
जरूरी जानकारी लगातार ली जा रही है।
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