इलाहाबाद : उप्र लोक सेवा आयोग से हुई भर्तियों की जांच में परीक्षा
समिति की ओर से पारित प्रस्ताव भी खंगाले जा रहे हैं। सीबीआइ के अफसर कई
दिनों से सामान्य व असाधारण प्रस्ताव, उनके उद्देश्य और प्रतियोगियों या
आयोग को इससे होने वाले लाभ की जानकारी जुटा रहे हैं।
सामान्य कार्य दिवस
ही नहीं, सार्वजनिक अवकाश में भी सीबीआइ की छह सदस्यीय टीम आयोग में डेरा
डाले रही। सोमवार को कई अधिकारियों से पूछताछ हुई। 1पांच साल के दौरान आयोग
से हुई सभी भर्तियों की जांच का सिलसिला तेजी से चल निकला है। सीबीआइ ने
पूर्व अध्यक्ष डा. अनिल यादव के कार्यकाल में पारित प्रस्तावों पर ध्यान
केंद्रित कर दिया है। प्राथमिकता असाधारण प्रस्ताव को लेकर है। यह प्रस्ताव
कब बनें, क्यों बनाए गए, इससे प्रतियोगियों का क्या हित हुआ, असाधारण
प्रस्ताव किन परिस्थितियों में लाया जा सकता है। इन जैसे अन्य सवाल भी आयोग
के अफसरों के सामने सीबीआइ टीम की जुबां पर हैं। सूत्र बताते हैं कि इन
प्रस्तावों में ही सीबीआइ पूर्व अध्यक्ष पर मनमानी के लगे आरोप को पुख्ता
करने की कोशिश में है। सीबीआइ ने रविवार और सोमवार को आयोग में रहकर पीसीएस
2015 तथा 2014 में भी हुई विभिन्न परीक्षाओं के दौरान अचानक बदले गए नियम
की जानकारी आयोग के अधिकारियों से ली।
पूछताछ के अलावा सीबीआइ के अधिकारी भर्तियों के अभिलेख भी लगातार मांग रहे
हैं, जिन्हें उपलब्ध कराने के लिए आयोग में कई अधिकारियों को विशेष रूप से
लगाया गया है। आयोग का कहना है कि सीबीआइ की ओर से मांगे जा रहे सभी अभिलेख
मूल रूप से दिए जा रहे हैं, जबकि उनकी फोटो स्टेट प्रति सुरक्षित रखी जा
रही है। सीबीआइ टीम ने रविवार को भी आयोग में पूरे दिन रहकर तमाम अभिलेख
खंगाले थे।
इलाहाबाद : उप्र लोकसेवा आयोग से हुई भर्तियों में पूर्व मुख्यमंत्री
अखिलेश यादव की भूमिका पर सवाल उठे हैं। कहा जा रहा है कि उनकी सहमति के
बिना आयोग से हुई भर्तियों में भ्रष्टाचार संभव नहीं था। यह दावा प्रतियोगी
छात्र संघर्ष समिति की ओर से किया गया है और सीबीआइ को पत्र देकर अखिलेश
यादव की भर्तियों में भूमिका, उनकी संपत्ति की जांच करने की मांग की गई है।
समिति के मीडिया प्रभारी अवनीश पांडेय ने सीबीआइ के एसपी को मांत्र पत्र
सोमवार को भेजा। इसमें लिखा है कि आयोग के पूर्व व मौजूदा अध्यक्ष/ सदस्यों
तथा अखिलेश यादव की घनिष्ठता की पड़ताल की जाए। अवनीश ने कहा है कि अखिलेश
यादव ने नियमों को अनदेखा कर आगरा के हिस्ट्रीशीटर अनिल यादव को आयोग का
अध्यक्ष नियुक्त किया। सूचना अधिकार अधिनियम 2005 के तहत डॉ. अनिल यादव के
बारे में मांगी गई जानकारी में तत्कालीन पुलिस महानिरीक्षक ने आख्या में
शून्य बताया, जबकि कोर्ट को दिए हलफनामा में राज्य सरकार ने अनिल यादव का
अपराधिक इतिहास बताया है। इसके बाद आगरा के एसपी ने बताया था कि अनिल यादव
‘तड़ीपार’ तक हो चुके हैं। पांडेय के अनुसार, मैनपुरी के जिलाधिकारी से
लेकर कानूनगो तक ने रविवार के दिन अनिल यादव के चरित्र का सत्यापन किया जो
यह सिद्ध करता है कि भर्तियों में भ्रष्टाचार करने के लिए अनिल यादव की
बतौर अध्यक्ष नियुक्ति सूबे के तत्कालीन मुख्यमंत्री की शह पर की गई।
वर्तमान अध्यक्ष और सदस्यों पर भी आरोप
सीबीआइ के एसपी को भेजे पत्र में आयोग के वर्तमान अध्यक्ष अनिरुद्ध यादव और
सदस्यों पर भी गंभीर आरोप लगाए गए हैं। अधिकांश आरोप इनकी शैक्षिक योग्यता
में असल तथ्यों को छिपाने के हैं।
sponsored links:
Information on UPTET Exam , Results , UPTET Admit Cards , 69000 Shikshak Bharti , Counselling , Niyukti Patra for UP Teachers & other related information
Breaking News
- 2004 में शिक्षामित्रों की नियुक्तियों हेतु जारी विज्ञप्ति: इसी विज्ञप्ति के आधार पर हुआ था शिक्षामित्रों की का चयन
- ख़बरें अब तक - 72825 प्रशिक्षु शिक्षकों की भर्ती - Today's Headlines
- वित्तविहीन शिक्षकों को मानदेय की पहली किस्त अक्टूबर में, यह होगा सहायक अध्यापक व प्रधानाचार्य का मानदेय
- समस्त AD बेसिक व BSA के CUG मोबाइल नम्बर : 72825 प्रशिक्षु शिक्षकों की भर्ती Latest News
- Shikshamitra Appointment: 2001 में शिक्षामित्रों की नियुक्ति सहायक अध्यापकों के रिक्त पदों के सापेक्ष ही हुई थी