अभी तक एक-एक वर्ष के लिए तबादला नीति जारी होती थी लेकिन, इस सरकार ने चार वर्ष के लिए नीति बनाई है। संदिग्ध सत्य निष्ठा वाले अधिकारी और कर्मचारी संवेदनशील पदों पर तैनाती नहीं पा सकेंगे।
नई तबादला नीति में एक जिले में तीन वर्ष व एक मंडल में सात साल पूरे करने वाले समूह ‘क’ एवं ‘ख’ के स्थानांतरण का प्रावधान किया गया है। मंडलीय कार्यालयों व विभागाध्यक्ष कार्यालयों में की गई तैनाती की अवधि को मंडल में निर्धारित सात वर्ष की अवधि में शामिल नहीं माना जाएगा। तबादलों की सीमा अधिकतम बीस प्रतिशत कर दिया है। यदि इससे अधिक तबादले की जरूरत पड़ी तो समूह क और ख के लिए मुख्यमंत्री तथा समूह ग और घ के लिए विभागीय मंत्री से अनुमोदन लेना होगा। समूह ग के कार्मिकों का हर तीसरे वर्ष पटल परिवर्तन होगा। जनहित में मुख्यमंत्री कभी भी किसी के तबादले का आदेश दे सकते हैं। इस नीति में कोई बदलाव मुख्यमंत्री के आदेश के बाद ही हो सकेगा।
दिव्यांग सामान्य स्थानांतरण से मुक्त : दिव्यांग या जिनके आश्रित दिव्यांग होंगे, उन्हें सामान्य स्थानांतरण से मुक्त रखा गया है। सेवा के अंतिम दो वर्ष में समूह ग के कार्मिकों को उनके गृह जिले एवं समूह ख के कार्मिकों को इच्छित जिला (गृह जिला को छोड़कर) नियुक्ति पर विचार किया जाएगा। प्रदेश स्तरीय संवर्ग में समूह ग एवं घ के स्थानांतरण किसी अन्य मंडल या जिला में और मंडल स्तरीय होने पर मंडल के अंदर किसी अन्य जिले में किए जाएंगे। 1आठ जिलों में भरे जाएंगे शत-प्रतिशत पद : केंद्र सरकार द्वारा घोषित आठ महत्वाकांक्षी जिला योजना में आने वाले आठ जिले चित्रकूट, चंदौली, सोनभद्र, फतेहपुर, बलरामपुर, सिद्धार्थनगर, श्रवस्ती व बहराइच में प्रत्येक विभाग में हर दिशा में सभी पदों पर तैनाती का प्रावधान किया गया है।
विशेष परिवर्तन के लिए सीएम की अनुमति जरूरी
यदि किसी विभाग द्वारा विशिष्ट आवश्यकताओं यथा स्थानांतरण समय परिवर्तन भौगोलिक आवश्यकता या किसी विशिष्ट योजना के संदर्भ में तबादला नीति में परिवर्तन करना जरूरी हुआ तो हर वर्ष 15 अप्रैल तक विभागीय मंत्री के माध्यम से मुख्यमंत्री का अनुमोदन लेना होगा।
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