AICTE के नए नियम से उत्तर प्रदेश में जा सकती है हजारों कॉलेज शिक्षकों की नौकरी

नोएडा (मनीष तिवारी)। अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआइसीटीई) ने कॉलेजों में छात्र-शिक्षक का नया अनुपात तैयार किया है। इसके तहत अधिकतम 20 सीट पर एक प्रोफेसर की नियुक्ति अनिवार्य होगी। अभी तक 15 सीट पर एक प्रोफेसर का नियम लागू है। नए शैक्षिक सत्र से नया नियम लागू हो जाएगा। कॉलेजों को यह छूट होगी कि वह बीस से कम सीट के लिए भी एक प्रोफेसर की नियुक्ति कर सकेंगे।

नए नियम से कॉलेजों को तो फायदा होगा, लेकिन हजारों शिक्षकों की नौकरी जा सकती है। एआइसीटीई ने उच्च शिक्षा के लिए नियम तय कर रखे हैं। नियम के तहत कॉलेजों में उपलब्ध सीटों के सापेक्ष प्रोफेसरों की तैनाती करनी होती है। प्रोफेसरों व संसाधनों के सापेक्ष एआइसीटीई कॉलेजों के लिए सीटों का निर्धारण करती है।
कॉलेजों में छात्रों की संख्या लगातार घट रही है। सीटों के सापेक्ष संसाधन एवं प्रोफेसरों की संख्या बनाए रखना कॉलेजों की मजबूरी है। हालात यह है कि कॉलेजों के लिए खर्च निकालना भी मुश्किल हो चुका है। कई कॉलेज सीटें सरेंडर कर चुके हैं तो कई पर ताले लटक गए हैं।

शिक्षकों को समय से वेतन न मिलने के कारण उन्हें भी बेचैनी है। लगातार बंद हो रहे कॉलेजों को देखते हुए एआइसीटीई पर भी उनके खर्च को कम करने का दबाव है। शिक्षक छात्र के नए अनुपात से कॉलेजों को कुछ राहत मिलेगी। प्रोफेसरों के वेतन के मद में होने वाले खर्च से कॉलेजों को राहत मिलेगी।
हालांकि एआइसीटीई ने शिक्षण की गुणवत्ता को बनाए रखने के लिए कॉलेजों को छूट भी दी है कि अगर वह चाहें तो बीस सीट से कम पर भी एक शिक्षक प्रोफेसर की नियुक्त कर सकते हैं। एआइसीटीई का नया नियम कॉलेजों पढ़ा रहे हजारों शिक्षकों के लिए नुकसान देह हो सकता है।
कॉलेज प्रबंधन प्रोफेसरों को बाहर का रास्ता दिखा सकते हैं। एआइसीटीई ने प्रायोगिक शिक्षा को तवज्जो देते हुए कोर्स में भी बदलाव किया है। इंजीनियरिंग में फिजिक्स विषय की पढ़ाई दो के बजाय केवल एक ही सेमेस्टर में होगी।

प्रोफेशनल इंग्लिश विषय की पढ़ाई भी केवल एक सेमेस्टर में ही होगी। इंजीनियरिंग के पहले वर्ष में इलेक्ट्रानिक्स व मैकेनिकल विषय को पाठ्यक्रम से हटा दिया गया है। इससे इन विषयों के शिक्षकों की नौकरी की मुश्किल बढ़ेगी।

वहीं,  प्रोफेसर एपी मित्तल (सदस्य सचिव, एआइसीटीई) का कहना है कि कॉलेजों में शिक्षक छात्र अनुपात में कुछ बदलाव किए गए हैं। बीस सीट पर एक प्रोफेसर की नियुक्ति करनी होगी। इससे कम सीट के लिए भी एक प्रोफेसर रख सकते हैं।