Wednesday 30 May 2018

प्रशिक्षण जनपद वरीयता ( जिला वरीयता) जो 1981नियमावली के नियम 14(1)a के द्वारा 15000,16448 तथा 12460 में दी गई है । जिसे उपरोक्त तीनों भर्तियों में मूल अधिकारों के विपरीत बताते हुए चुनौती दी गई

प्रशिक्षण जनपद वरीयता ( जिला वरीयता) जो 1981नियमावली के नियम 14(1)a के द्वारा 15000,16448 तथा 12460 में दी गई है । जिसे उपरोक्त तीनों भर्तियों में मूल अधिकारों के विपरीत बताते हुए चुनौती दी गई है । चूंकि उपरोक्त भर्तियों में पूर्व 15000 व 16448 शिक्षक चयनित है तथा 12460 में भी चयन की प्रक्रिया 0 जनपद को छोड़ के समापन की ओर है ।

उपरोक्त मुकदमों में यदि रुल 14(1)क को न्यायालय द्वारा अल्ट्रा वायरस घोषित किया गया तो चयनित शिक्षक प्रभावित होंगे , उपरोक्त दशा में नैसर्गिक न्याय के अनुसार उन्हें अपना पक्ष रखने हेतु मौका दिया जाना चाहिए था किन्तु याचिकाएं नियुक्ति पत्र वितरण से पूर्व दाखिल हुई थी अतः याचिकाकर्ता द्वारा किसी को रिप्रेजेंटेटिव कैपेसिटी में भी पार्टी बना पाना संभव नहीं था ।
ऐसी दशा में यदि न्यायालय कोई भी आदेश पारित करता तो सुप्रीम कोर्ट से पहली ही सुनवाई में स्टे मिलना तय था ।
चयनित शिक्षकों की ओर से हाल ही में 15000 में अनिल मौर्या तथा 16448 में विवेक मिश्रा की ओर से अधिवक्ता श्री उपेन्द्र नाथ मिश्र जी द्वारा दो IA दाखिल की गई , जो न्यायालय द्वारा स्वीकार की गई जो इस केस के निस्तारण हेतु परम आवश्यक था ।
12460 में भी 2 IA चयनित शिक्षकों की ओर से (श्री लालता प्रसाद मिश्र जी व श्री एम एम अस्थाना जी द्वारा)दाखिल की गई थी जिन्हें न्यायालय द्वारा स्वीकार किया गया ,चूंकि 12460 में 0 सीट विवाद भी इसी नियम की वजह से हुआ इस कारण 12460 में पुनः सभी पक्षों को अपना काउंटर दाखिल करने हेतु 4 सप्ताह। का समय दिया गया । अब यह मुकदमा जुलाई माह में सुनवाई हेतु सूची बद्ध होगा ।
नियम सही है या गलत यह न्यायालय को तय करना है किंतु एक बार फिर से चयनित शिक्षकों से कहना चाहूंगा कि यह जो भी याचिकाकर्ता है जिनका हित प्रभावित हुआ है यदि उनको न्यायालय द्वारा कंसीडर किया जाएगा तो इससे चयनित शिक्षकों को समस्या नहीं होनी चाहिए । इस केस की पैरवी मेरे द्वारा की जा रही है और अब हमे व्यक्तिगत रूप से बेसिक की नौकरी से लगाव न रहा किन्तु जिन लोगो ने इस संघर्ष में मेरा साथ दिया है उनके लिए हम ये मुक़दमा अन्तिम कोर्ट तक लड़ेंगे ।
15000 , 16448 और 12460 में चयनित शिक्षकों को किसी प्रकार से प्रभावित करने का मेरा कोई उद्देश्य न है जैसे उत्तराखण्ड राजस्थान में चयनित शिक्षकों को बिना प्रभावित किए हाई कोर्ट व सुप्रीम कोर्ट द्वारा याचिकाक्ताओं को कंसीडर किए जाने का आदेश पारित किया है अगर वैसा ही उत्तर प्रदेश में हो जाए तो मुझे नहीं लगता किसी को कोई समस्या होनी चाहिए ।अब नियमावली में यह नियम नहीं है ।
एक बात और साफ कर दे उपरोक्त भर्तियों में चयनित कुछ लोगो से मतभेद हो सकते है किन्तु मनभेद किसी से नहीं है तथा किसी भी व्यक्ति से किसी भी प्रकार का कोई चन्दा मेरे द्वारा न लिया गया है न भविष्य में लिया जाएगा।
~ Ambrish Tiwari
9919967474
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