कानपुर. सहायक अध्यापक की नौकरी करते-करते अचानक दोबारा शिक्षामित्र बनाए गए शिक्षकों के लिए बहुत बड़ी खुशखबरी। प्रदेश की योगी आदित्यनाथ
सरकार ने कोर्ट के आदेश से पदानवत हुए शिक्षामित्रों को दोबारा सहायक
अध्यापक बनाने के लिए रास्ता निकाल लिया है।
शिक्षामित्र संघर्ष समिति और
प्रदेश सरकार के बीच वार्ता के बाद शिक्षामित्रों का सहायक अध्यायपक के पद
पर समायोजन करने की रजामंदी बन चुकी है, अलबत्ता शिक्षामित्रों को दोबारा
सहायक अध्यापक जैसा वेतन हासिल करने के लिए एक शर्त को पूरा करना होगा।
अरसे से पक्की नौकरी की चाह सिर्फ एक शर्त से होगी पूरी
शिक्षामित्र संघर्ष समिति के कानपुर प्रभारी राघवेंद्र दीक्षित के
मुताबिक, बेसिक शिक्षा परिषद के प्राइमरी और उच्च प्राथमिक स्कूलों में
तैनात एक लाख 37 हजार शिक्षामित्रों का समायोजन बीती 25 जुलाई, 2017 को
उच्चतम न्यायायलय ने रद्द कर दिया है। इस फैसले के बाद प्रदेश के तमाम
हिस्सों में शिक्षामित्रों ेजबरदस्त प्रदर्शन किया। लखनऊ के लक्ष्मणमेला
मैदान में बेमियादी अनशन भी शुरू किया गया। इस अनशन के बाद ही प्रदेश सरकार
ने शिक्षामित्रों के लिए कोई रास्ता निकालने का वादा किया था। शिक्षामित्र
चाहते थे कि प्रदेश सरकार अध्यादेश के जरिए सभी शिक्षामित्रों को नियमित
करे, लेकिन योगी सरकार ने शिक्षामित्रों को नियमानुसार नियुक्ति दिलाने का
रास्ता चुना। इसी कारण शीर्ष कोर्ट के निर्देश पर शिक्षामित्रों को दो अवसर
देने का अवसर आया तो सरकार ने नियुक्ति के नियमों में कई बदलाव किए हैं।
27 मई की परीक्षा में कामयाबी पर मिलेगा नियुक्ति पत्र
सरकार ने रास्ता निकाला है कि यदि सुप्रीमकोर्ट के आदेश से सहायक
अध्यापक के पद से पदानवत हुए शिक्षामित्र 27 मई को प्रस्तावित शिक्षक भर्ती
की लिखित परीक्षा में उत्तीर्ण होते हैं तो शिक्षक बनने की राह आसान होगी।
परीक्षा उत्तीर्ण करते ही नियुक्तियों से पहले सरकार उनके लिए वेटेज अंक
का ऐलान करेगी। यह अंक ही नियुक्ति दिलाने में कारगर होंगे। साथ ही लिखित
परीक्षा में उम्दा अंक पाने वालों से मुकाबला करने में भी वेटेज अंक सहायक
होंगे। गौरतलब है कि 68500 सहायक अध्यापक भर्ती 2018 में उत्तीर्ण प्रतिशत
पहले शिक्षक पात्रता परीक्षा के बराबर तय किया गया था। अफसरों ने तर्क दिया
कि पहली से दूसरी परीक्षा को कठिन नहीं कर सकते तो उत्तीर्ण प्रतिशत उसके
बराबर रखना चाहिए। ऐसे में सामान्य व ओबीसी का 60 और एससी-एसटी का 54.66
अंक तय हुआ। शिक्षामित्रों ने इसका विरोध किया तो सरकार ने संशोधन करके
सामान्य, ओबीसी का 45 व एससी-एसटी का 40 फीसदी अंक किया गया। इन अंकों पर
भी शिक्षामित्र नाखुश दिखे तो सरकार ने तीसरा बदलाव किया, इसमें सामान्य,
ओबीसी 33 व एससी-एसटी 30 फीसदी अंक हासिल करने पर उत्तीर्ण होंगे।
शिक्षामित्रों को राहत का विरोध भी गूंजने लगा है
प्रतियोगी और शिक्षामित्र तक इस अंक प्रतिशत को लेकर हैरान हैं, क्योंकि
अब परीक्षा उत्तीर्ण करना बेहद आसान हो गया है। हालांकि अन्य प्रतियोगी यह
कहने लगे हैं कि इसका फायदा शिक्षामित्रों को ही होगा, क्योंकि उन्हें
नियुक्ति से पहले भारांक और उम्र सीमा में छूट मिलना तय है। ऐसे में कोई भी
शिक्षामित्र परीक्षा को सिर्फ उत्र्तीण कर लेगा तो वेटेज अंक से वह आसानी
से नियुक्ति की मेरिट तक पहुंच जाएगा, जबकि अन्य अभ्यर्थी सामान्य अंकों से
उत्तीर्ण हुए तो उनकी नियुक्ति तभी हो सकेगी, जब मेरिट काफी नीचे आएगी।
ऐसे में अब अन्य अभ्यर्थियों के सामने लिखित परीक्षा को अच्छे अंकों से
उत्तीर्ण करने की चुनौती बढ़ गई है। इस विसंगति को लेकर कुछ लोगों ने कोर्ट
जाने का इरादा बनाया है।
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