सरकार की छात्रवृत्ति स्कीम का लाभ अब सिर्फ उन्हीं शिक्षण संस्थानों को
मिलेगा, जिनका रिजल्ट प्रतिवर्ष पचास फीसद होगा। यानि नई कक्षा में पिछली
कक्षा से पचास फीसद बच्चों का पास होकर आना अनिवार्य होगा। ऐसा न होने पर
उस संस्थान को छात्रवृत्ति स्कीम का लाभ नहीं मिलेगा। सरकार ने इसे लेकर एक
नया दिशानिर्देश जारी किया है। राज्यों से इस पर तुरंत अमल शुरू करने को
कहा गया है।
केंद्र सरकार ने यह दिशानिर्देश तब जारी किया है, जब स्कूल व कॉलेजों में
छात्रवृत्ति की पात्रता रखने वाले बच्चों के नामांकन का फीसद तो बढ़ा,
लेकिन पास होने का फीसद सिर्फ 10 ही था। यह स्थिति 11 वीं और 12 वीं के
साथ-साथ कॉलेजों में स्नातक स्तर पर ज्यादा देखने को मिल रही थी। सामाजिक
न्याय एवं अधिकारिता मंत्रलय से जुड़े अधिकारियों के मुताबिक, इनमें बड़े
पैमाने पर फर्जीवाड़े की भी शिकायतें मिल रही थीं। ऐसे में सरकार की इस
कोशिश को छात्रवृत्ति व्यवस्था को और ज्यादा पारदर्शी बनाने से जोड़कर देखा
जा रहा है। मंत्रलय ने इस पूरी स्कीम को लेकर दिशानिर्देश जारी किया है।
इसके तहत स्कूल और कॉलेजों को अब प्रतिवर्ष 50 फीसद रिजल्ट देना ही होगा।
इसके बाद ही उन्हें छात्रवृत्ति की अगली किश्त जारी की जाएगी। सरकार का
मानना है कि इससे शिक्षण संस्थानों को जोर अब छात्रवृत्ति के साथ छात्रों
की पढ़ाई पर भी रहेगा।