इलाहाबाद : एक ओर यूपी सरकार ने स्कूल-कालेजों में फीस नियंत्रण के लिए
नियमों में बदलाव किया है, ताकि हर साल प्रवेश शुल्क व और मनमानी फीस
वृद्धि वसूली न जा सके। वहीं, दूसरी ओर केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड
यानि सीबीएसई ने उत्तर पुस्तिकाओं के पुनमरूल्यांकन का नियम बदलकर
अभिभावकों पर आर्थिक बोझ बढ़ा दिया है।
नई व्यवस्था में उत्तर पुस्तिका का
आवेदन करने वाले किसी भी परीक्षार्थी को सीबीएसई फीस वापस नहीं लौटाएगा। इस
संबंध में बोर्ड के परीक्षा नियंत्रक केके चौधरी ने सकरुलर भी जारी कर
दिया है।
असल में, सीबीएसई की तरफ से बोर्ड परीक्षा में यदि किसी परीक्षार्थी को
अपने अंक कम मिलने को लेकर शंका होती है तो वह उत्तर पुस्तिका
पुनमरूल्यांकन के लिए आवेदन कर सकता है। नियम है कि परीक्षार्थी जितने भी
विषय में पुनमरूल्यांकन कराएगा उसे प्रत्येक विषय के हिसाब से पांच सौ
रुपये पहले ही जमा करना पड़ता था। पहले के नियम में जिस विषय में
पुनर्मूल्यांकन के दौरान गलती मिलती थी, और उसके अंकों में बदलाव होता था,
उन विषयों की जमा हुई फीस सीबीएसई मूल्यांकन में हुई गलती को स्वीकार करते
हुए परीक्षार्थी को वापस कर देता रहा है। वहीं, जिन उत्तर पुस्तिकाओं में
कोई गलती नहीं मिलती थी, उनमें फीस वासप नहीं होती थी। अब इस नियम में
बदलाव करते हुए बोर्ड ने नया आदेश जारी किया है। सीबीएसई के परीक्षा
नियंत्रक केके चौधरी की तरफ से जारी आदेश में कहा गया है कि किसी भी
परिस्थिति में अब पुनमरूल्यांकन के लिए जमा फीस को वापस नहीं किया जाएगा।
यह व्यवस्था लागू होने के बाद अभिभावकों पर बोझ बढ़ना तय है। ऐसे में
परीक्षार्थियों की संख्या में भी गिरावट आने के आसार थे, लेकिन, इस बार
परीक्षा की मूल्यांकन प्रणाली में बदलाव के कारण आवेदनों की संख्या बढ़ गई
है।
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