शिक्षामित्रों की आर-पार की लड़ाई में बढ़ता जा रहा आक्रोश

उन्नाव. योगी सरकार उच्च न्यायालय इलाहाबाद द्वारा पारित आदेश जिसमें कहा गया था कि शिक्षामित्रों को 12 माह 62 वर्ष तक करके सभी शिक्षामित्रों को स्थायित्व प्रदान करें। मध्य प्रदेश और उत्तराखंड की सरकार अपने यहां कार्य शिक्षा मित्रों को स्थायित्व प्रदान कर चुकी है।
इस संबंध का एक ज्ञापन उत्तर प्रदेश प्राथमिक शिक्षामित्र संघ ने योगी आदित्यनाथ को दिया है। अपने ज्ञापन में उत्तर प्रदेश प्राथमिक शिक्षामित्र संघ मुख्यमंत्री से मांग की है कि विगत 9 अगस्त 2017 को पारित अधिनियम में वर्णित अधिकारों से शिक्षामित्रों को अच्छादित करते हुए न्यूनतम अहर्ता प्राप्त करने हेतु 4 वर्षों की छूट दें। जैसा कि उक्त अधिनियम को उत्तराखंड की सरकार ने अपने शिक्षामित्रों को पद पर रहते हुए लाभान्वित किया है।

बड़ी संख्या में पहुंचे फरियादी
मुख्यमंत्री के आगमन को देखते हुए अपनी फरियाद पहुंचाने के लिए बड़ी संख्या में फरियादी निराला प्रेक्षागृह पहुंचे। इनमें काफी को निराशा हाथ लगी। जिन्होंने जुगाड़ करके पास बनवा लिया। वह अंदर पहुंचे मुख्यमंत्री को ज्ञापन देने में सफल रहे।शिक्षामित्रों ने 62 वर्ष नौकरी और 12 माह वेतन का भी लाभ देने की मांग की है। अपने ज्ञापन में उत्तर प्रदेश प्राथमिक शिक्षामित्र संघ ने कहा है कि मध्य प्रदेश सरकार द्वारा 2.35 लाख संविदा शिक्षकों का समायोजन करने का निर्णय लिया है और 18 5000 संविदा कर्मचारियों को 62 वर्ष तक की सेवा में अन्य विभागों की तरह सभी लाभ देने का निर्णय लिया गया है।

उत्तराखंड और मध्य प्रदेश सरकार की तरह नियम बनाए प्रदेश सरकार

उत्तराखंड और मध्य प्रदेश सरकार द्वारा शिक्षामित्रों के साथ किए गए सकारात्मक कदमों को प्रदेश सरकार में भी लागू करने की शिक्षा मित्र संघ ने मांग की है। पत्रिका से बातचीत के दौरान उत्तर प्रदेश प्राथमिक शिक्षामित्र संघ के जिला अध्यक्ष सुधाकर तिवारी ने बताया है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शिक्षामित्रों के हित में सकारात्मक कदम उठाने के संकेत दिए हैं। उन्होंने कहा कि शीघ्र ही सरकार शिक्षामित्रों के हित में ठोस निर्णय लेगी। ज्ञापन देने वालों में जिला अध्यक्ष सुधाकर तिवारी, कुलदीप शुक्ला, ज्ञान दीक्षित, रेखा सिंह चंदेल, भानु प्रताप सिंह, रामेंद्र द्विवेदी आदि शामिल थे।