PCS EXAM: मोहभंग, 21 सौ से अधिक छोड़ चुके पीसीएस परीक्षा, दिन रात तैयारी कर पास की थी प्रारंभिक परीक्षा, अन्य आयोगों को दे रहे तरजीह, आयोग की कार्यशैली से उठता जा रहा विश्वास

उप्र लोक सेवा आयोग की कार्यशैली से अभ्यर्थियों के विश्वास में लगातार आ रही गिरावट ने पीसीएस जैसी अहम सेवा परीक्षा पर भी गहरा असर डाला है। दिन रात तैयारी कर अफसर बनने का सपना संजोए अभ्यर्थियों में आयोग के प्रति मोह भंग हो रहा है।
पीसीएस 2017 की मुख्य परीक्षा इसकी नजीर है, जिसमें अब तक 2100 से अधिक अभ्यर्थी परीक्षा छोड़ चुके हैं। यह स्थिति तब है जब आयोग ने विशेषज्ञों में बदलाव किया है और प्रश्नों के चयन में सुधार भी दिख रहा है।1आयोग ने जब 19 जनवरी, 2018 को पीसीएस प्रारंभिक परीक्षा का रिजल्ट घोषित किया था तो मुख्य परीक्षा के लिए 14032 अभ्यर्थी सफल हुए थे। मुख्य परीक्षा के लिए आयोग ने ऑनलाइन आवेदन मांगे। ऑनलाइन आवेदन के बाद 369 अभ्यर्थियों ने हार्ड कापी ही जमा नहीं की जिससे वे परीक्षा में शामिल होने से बाहर हो गए। कुल 13663 अभ्यर्थियों को अंतिम रूप से पंजीकृत कर आयोग ने 18 जून से मुख्य परीक्षा शुरू कराई। 1अनिवार्य विषय की परीक्षा को ही 1383 अभ्यर्थियों ने बाय-बाय कह दिया। कुल 12281 अभ्यर्थियों ने परीक्षा दी। एक अभ्यर्थी ने गुरुवार को इलाहाबाद के एक केंद्र में परीक्षा का बहिष्कार कर दिया, 22 जून को रक्षा अध्ययन विषय के पेपर में 593 अभ्यर्थियों ने परीक्षा छोड़ी और शनिवार को इतिहास विषय की हुई परीक्षा में 96 अभ्यर्थी गायब रहे। इतिहास विषय में कुल पंजीकृत 3340 में 3244 अभ्यर्थी ही परीक्षा देने पहुंचे। आयोग के ही ये आंकड़े गवाह हैं कि 2100 से अधिक अभ्यर्थी अब तक पीसीएस जैसी अहम परीक्षा को छोड़ अन्य राज्यों की परीक्षाओं में शामिल हुए क्योंकि आयोग ने ऐसे दिनों में मुख्य परीक्षा की तारीखें निर्धारित कीं जब अन्य राज्यों के आयोग में कही परीक्षाएं चल रही हैं कहीं साक्षात्कार हो रहे हैं। तमाम अभ्यर्थियों ने मध्य प्रदेश में हो रही प्रवक्ता परीक्षा में शामिल होना उचित समझा और पीसीएस परीक्षा छोड़ी। अभ्यर्थी लगातार मुख्य परीक्षा की तारीखें टालने की मांग कर रहे थे जिसकी अनसुनी हुई।1इसके पीछे माना जा रहा है कि आयोग की लगातार दागदार होती छवि और कार्यशैली में बदलाव न होने, परीक्षाओं में विवाद और मामले में कोर्ट तक पहुंचने, परीक्षाओं में कभी अनिश्चितता कभी आयोग की मनमानी के चलते अभ्यर्थियों में विश्वास की लगातार कमी हो रही है। यह विडंबना तब है जब पीसीएस 2017 की प्रारंभिक परीक्षा और मुख्य परीक्षा के प्रश्न पत्रों में प्रश्न पहले से बेहतर बनाए गए हैं।