पांच ऐसे भी स्कूल हैं, जहां शिक्षक ही नहीं है। वहां शिक्षामित्र संभाल रखे हैं। सूबे में योगी सरकार बनने के बाद बेसिक शिक्षा परिषद के स्कूलों की दिशा व दशा सुधारने के लिए प्रयास हो रहे हैं, पर सकारात्मक परिणाम नहीं निकल पा रहे हैं। मूलभूत आवश्यकताओं में शामिल शिक्षकों की कमी बरकरार है। समय-समय पर भर्तियां होने के बाद भी जिले में 490 स्कूल ऐसे हैं, जहां महज एक ही शिक्षक की तैनाती नहीं है।
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- 2004 में शिक्षामित्रों की नियुक्तियों हेतु जारी विज्ञप्ति: इसी विज्ञप्ति के आधार पर हुआ था शिक्षामित्रों की का चयन
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एकल विद्यालय के भरोसे 490 परिषदीय विद्यालय
सिद्धार्थनगर। बेसिक शिक्षा परिषद के स्कूलों की दशा सुधारने के लिए तमाम
प्रयास हो रहे हैं, बावजूद इसके अपेक्षित सफलताएं नहीं मिल पा रही है। नए
सत्र में विभागीय आंकड़ों पर गौर करें तो 490 प्राथमिक एवं पूर्व माध्यमिक
विद्यालयों में शैक्षणिक गतिविधियां मात्र एक शिक्षक के भरोसे रह गया है।
पांच ऐसे भी स्कूल हैं, जहां शिक्षक ही नहीं है। वहां शिक्षामित्र संभाल रखे हैं। सूबे में योगी सरकार बनने के बाद बेसिक शिक्षा परिषद के स्कूलों की दिशा व दशा सुधारने के लिए प्रयास हो रहे हैं, पर सकारात्मक परिणाम नहीं निकल पा रहे हैं। मूलभूत आवश्यकताओं में शामिल शिक्षकों की कमी बरकरार है। समय-समय पर भर्तियां होने के बाद भी जिले में 490 स्कूल ऐसे हैं, जहां महज एक ही शिक्षक की तैनाती नहीं है।
सचिव की समीक्षा बैठक के लिए तैयार पुस्तिका में उपलब्ध कराए गए आंकड़ों के
मुताबिक डुमरियागंज में 14, भनवापुर में 31, बर्डपुर में 67, लोटन में 83,
उस्का बाजार में 23, शोहरतगढ़ में 9, बढ़नी में 29, नौगढ़ में 27, मिठवल
में 58, खेसरहा में 14, बांसी में 38, जोगिया में 64, इटवा में 32 स्कूलों
में शिक्षक नहीं है। खुनियांव ब्लॉक में एकल विद्यालयों की संख्या शून्य
है। सिर्फ शिक्षामित्रों के भरोसे चल रहे स्कूलों में बर्डपुर में 3 व
जोगिया में 2 शामिल हैं। बेसिक शिक्षा अधिकारी राम सिंह का कहना है कि
स्कूलों में तैनात शिक्षकों के बूते ही बेहतर माहौल देने के लिए कोशिश की
जाएगी।
पांच ऐसे भी स्कूल हैं, जहां शिक्षक ही नहीं है। वहां शिक्षामित्र संभाल रखे हैं। सूबे में योगी सरकार बनने के बाद बेसिक शिक्षा परिषद के स्कूलों की दिशा व दशा सुधारने के लिए प्रयास हो रहे हैं, पर सकारात्मक परिणाम नहीं निकल पा रहे हैं। मूलभूत आवश्यकताओं में शामिल शिक्षकों की कमी बरकरार है। समय-समय पर भर्तियां होने के बाद भी जिले में 490 स्कूल ऐसे हैं, जहां महज एक ही शिक्षक की तैनाती नहीं है।