स्कूलों में गुरुजनों का अकाल, कैसे पढ़ें-बढ़ें नौनिहाल

बलरामपुर:जिले का बेसिक शिक्षा महकमा अपर्याप्त संसाधनों के सहारे पढ़े बलरामपुर-बढ़े बलरामपुर का दम भर रहा है। नीति आयोग के एस्पिरेशनल जिलों में शामिल बलरामपुर में तैनात शिक्षकों के अंतरजनपदीय स्थानांतरण पर मुख्यमंत्री ने रोक तो लगा दी लेकिन, 50 फीसद से अधिक रिक्त पदों पर शिक्षकों की तैनाती के लिए कोई कदम नहीं उठाए गए।
खास बात यह है कि जिले में तत्कालीन बीएसए रमेश यादव के कार्यकाल में 135 फर्जी शिक्षक भी बर्खास्त किए जा चुके हैं। जबकि करीब सौ से अधिक इसकी जद में हैं। प्राथमिक स्कूलों में शिक्षकों के 6603 पदों के सापेक्ष मात्र 2700 की तैनाती है। जबकि जूनियर हाईस्कूलों 2065 के सापेक्ष 1264 ही कार्यरत हैं। ऐसे में विभागीय अफसर चार जुलाई से पढ़े बलरामपुर-बढ़े बलरामपुर अभियान चलाकर नौनिहालों को बिना गुरु के ज्ञानी बनाने का दावा कर रहे हैं। सूत्रों की मानें तो खंड शिक्षा अधिकारियों की मेहरबानी से अधिकांश शिक्षक स्कूल आने के बजाय घर बैठे वेतन उठा रहे हैं। जिन्हें कार्रवाई का जरा भी भय नहीं है। बीएसए हरिहर प्रसाद का कहना है कि बिना स्वीकृति के अवकाश पर रहने वाले शिक्षकों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। स्कूलों में बच्चों का शत-प्रतिशत नामांकन कराकर अभियान को सफल बनाया जाएगा।

पद 8668, शिक्षक सिर्फ 3964 :
-जिले के 1575 प्राथमिक स्कूलों में मात्र 360 प्रधानाचार्य कार्यरत हैं। जबकि 1215 पद रिक्त हैं। सहायक अध्यापक के 2340 पद सृजित हैं। जिनमें से मात्र 2340 की तैनाती है। 2688 पदों पर भर्ती नहीं हो सकी है। प्राथमिक स्कूलों में 1869 शिक्षामित्र बच्चों को पढ़ाने में अपना योगदान दे रहे हैं। जिले में 646 उच्च प्राथमिक स्कूलों में 558 प्रधानाचार्य नियुक्त हैं। जबकि 88 पद रिक्त चल रहे हैं। सहायक अध्यापक के 1419 पदों के सापेक्ष मात्र 706 पदों पर तैनाती है। 713 शिक्षकों के पद खाली हैं। 148 अनुदेशकों की तैनाती है। जो बच्चों को कला, गृहविज्ञान, कंप्यूटर व शारीरिक शिक्षा देने का कार्य कर रहे हैं।

कंप्यूटर शिक्षा की चुनौती :-पूर्व माध्यमिक स्कूलों के बच्चों को कंप्यूटर में दक्ष बनाने के लिए जिले के 12 स्कूलों का चयन कंप्यूटर सिस्टम लगाने के लिए किया गया है। इनमें उच्च प्राथमिक विद्यालय तिसाह, सोनहट, जिगनाघाट, गैंड़हवा, भंभरी, मजगवां, बरगदवा सैफ, बेलहसा, सदाडीह, कोइलिहा, शेखापुर, भैरमपुर व उच्च प्राथमिक स्कूल अचलपुर चौधरी शामिल हैं। इन स्कूलों में कंप्यूटर लगाने के लिए पूर्व में विभाग को 15 लाख रुपये का बजट भी मिल चुका है। खास बात यह है कि इनमें से अधिकांश स्कूलों ऐसे हैं जहां बिजली व कंप्यूटर अनुदेशक नहीं हैं। ऐसे में इन स्कूलों में कंप्यूटर की तालीम दिलाना किसी चुनौती से कम नहीं है।