तबादले को नेताओं की सिफारिश गुरुजी को पड़ेगी भारी

जागरण संवाददाता, एटा: शिक्षकों को प्रदेश सरकार ने एक और झटका दिया है। बेसिक शिक्षा में गुरुजी अपने तबादले कराने के लिए अधिकारियों पर राजनैतिक सिफारिशें और अन्य तरह के दबाव अब नहीं डलवा सकेंगे।
यदि ऐसा किया गया तो यह कर्मचारी आचरण नियमावली के विरुद्ध होगा और संबंधित शिक्षक के विरुद्ध कार्रवाई की जाएगी। फिलहाल समायोजन और तबादलों से पहले जारी फरमान में ऐसे शिक्षकों के अरमानों पर पानी फेर दिया है, जो नेताओं के जरिए अपने तबादले कराने के लिए काफी समय से तैयारी कर रहे थे।
वैसे तो बेसिक शिक्षा विभाग में नया सत्र शुरू होने के बाद लगातार नए-नए फरमान जारी हो रहे हैं, लेकिन हाल ही में शिक्षा निदेशक बेसिक द्वारा जारी किया गया निर्देश विभाग में काफी चर्चाओं में है। अब तक यही देखने को मिलता था कि जब भी तबादलों का सीजन आता शिक्षक भी अपनी राजनीतिक ताकत लगाकर तबादले के लिए सक्रिय हो जाते। कोई जनप्रतिनिधियों से लेटर पैड लिखवाकर या फिर अन्य किसी माध्यम से विभागीय अधिकारियों पर इस बात को लेकर दबाव बनवाकर कि कैसे भी तबादले की बात बन जाए। विभागीय अधिकारियों पर भी तबादलों के सीजन में इस बात को लेकर खासा दबाव रहता है। दूसरी ओर कुछ शिक्षक ऐसे भी हैं, जो खुद नेताओं से सीधी सिफारिश न कराकर अपनी पत्नी और अन्य परिजनों के जरिए भी प्रयासरत रहते हैं। अब इस तरह की सभी गतिविधियां शिक्षकों को तबादला कराने में तो दूर बल्कि ऐसा करने से उनकी नौकरी पर भी संकट आ जाएगा।


विभाग में शिक्षकों के समायोजन और जिले ही तबादलों को लेकर एक ओर शासन ने नीति जारी की तो तबादले के इच्छुक शिक्षकों को काफी खुशी हुई। अब नए फरमान को लेकर सभी में खलबली मची हुई है। शिक्षा निदेशक सर्वेंद्र विक्रम बहादुर ¨सह द्वारा सभी बीएसए और मंडलीय शिक्षाधिकारियों को इस संबंध में निर्देश जारी किए गए हैं। निर्देशों में कहा गया है कि वार्षिक स्थानांतरण के दौरान अपना स्थानांतरण कराने या स्थानांतरण निरस्त कराने के लिए कोई भी शिक्षक राजनीतिक या वाह्य प्रभाव का उपयोग करता है तो इसे उत्तर प्रदेश सरकारी कर्मचारी आचरण नियमावली 1956 के नियम 27 का उल्लंघन माना जाए। किसी भी तरह का दबाव अधिकारी पर डालने की स्थिति में संबंधित नियमावली का उल्लंघन करने वाला होगा। इसके अलावा कर्मचारी के परिवार से भी यदि कोई दबाव बनाने का प्रयास करता है तो उसमें भी कर्मचारी की मौन स्वीकृति मानी जाएगी और वह नियमावली के उल्लंघन का दोषी होगा। उन्होंने ऐसी स्थिति में आचरण नियमावली के अंतर्गत अनुशासनिक कार्रवाई की हिदायत दी है। इस तरह के आदेश ने सैकड़ों शिक्षकों को मुसीबत में डाल दिया है। बीएसए संजय कुमार शुक्ला ने बताया है कि निर्देश मिल चुका है। उसी के अनुरूप कार्रवाई की जाएगी।