भर्ती घोटाले में गर्दन बचाने को बन रहे सीबीआइ के गवाह: यूपी पीएससी से हुई सीधी भर्तियों में बड़े ‘खेल’ की दी जानकारी, जो पोल खोल रहे भविष्य में उनका फंसना भी तय

इलाहाबाद : उप्र लोकसेवा आयोग (यूपी पीएससी) से पांच साल के दौरान हुई भर्तियों की जांच कर रहे सीबीआइ अफसरों की मंजिल आसान हो गई है। यूपी पीएससी के वह कर्मचारी व अधिकारी सीबीआइ को सारी पोल बता रहे हैं जिनका फंसना तय है।
अपनी गर्दन बचाने को इन अधिकारी व कर्मचारियों ने परीक्षाओं में बरती गई मनमानी और पूर्व अध्यक्ष डा. अनिल यादव के कॉकस का पता बता रहे हैं। इससे प्रतियोगी परीक्षाओं के अलावा सीधी भर्ती में भी बड़ी कारस्तानी की जानकारी हुई है।1यूपी पीएससी से हुई भर्तियों में गलत तरीके से चयन का राजफाश करने के लिए सीबीआइ अफसरों ने संबंधित लोगों से पूछताछ का सिलसिला इलाहाबाद स्थित कैंप कार्यालय से हटाकर दिल्ली मुख्यालय में कर दिया, इसके पीछे भी खास मकसद है। यूपी पीएससी के जिन अधिकारियों व कर्मचारियों को पूछताछ के लिए तलब किया जाता था उनकी पहचान अन्य लोगों, कैंप कार्यालय में आने-जाने वाले शिकायतकर्ताओं को भी हो जाती थी। इससे सीबीआइ अफसरों व पूछताछ के लिए आने वाले अधिकारियों, कर्मचारियों को भी दिक्कत होती थी। पहचान होने के डर से वे यूपी पीएससी के भेद बताने से कतराते थे। दिल्ली मुख्यालय में सीबीआइ की मंजिल आसान हो रही है। सूत्र बताते हैं कि भर्तियों में गड़बड़ी के लिए जिन अधिकारियों और कर्मचारियों पर सीबीआइ शिकंजा कस रही है अब वही जांच टीम के गवाह बनते जा रहे हैं। इनसे सीबीआइ को सीधी भर्तियों में हुए हुए बड़े ‘खेल’ की अहम जानकारी मिल रही है। इन गवाहों से सीबीआइ टीम को कई बड़े नाम की सूची मिली है जिनकी भर्तियों में भ्रष्टाचार में अहम भूमिका रही है। सीबीआइ अधिकारियों ने पिछले दिनों ही संकेत दिए थे कि जांच का अगला चरण सीधी भर्ती से शुरू होगा। इसके पीछे भी यही कारण था कि सीधी भर्ती की जांच के लिए सीबीआइ ने तगड़ा होमवर्क किया है। हालांकि सूत्रों का यह भी कहना है कि गवाह बनकर बचने का रास्ता तलाश रहे अधिकारियों की डगर काफी कठिन है, क्योंकि इनके खिलाफ जांच अधिकारियों के पास पहले से ही काफी साक्ष्य हैं।

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