सहारनपुर। शिक्षकों की मनमानी के कारण समायोजन की प्रक्रिया बेमानी साबित
हो रही है। सरप्लस शिक्षकों के समायोजन की प्रक्रिया में विद्यालयों के
आवंटन के दस दिन बाद भी ज्यादातर शिक्षकों ने अपने मूल विद्यालय नहीं छोड़े
हैं। यह पहली बार नहीं है। गत वर्षों में भी शिक्षकों की ऐसी मनमानी के
सामने विभाग नतमस्तक होता रहा है।
विभाग ने परिषदीय विद्यालयों में तैनात सरप्लस 119 शिक्षकों को नए विद्यालय
आवंटित करने के लिए 18 अगस्त को यूआरसी नुमाइश कैंप में काउंसिलिंग की थी।
इन 119 शिक्षकों में 74 शिक्षक पूर्व माध्यमिक विद्यालयों और 45 शिक्षक
प्राथमिक विद्यालयों के शामिल थे। मगर काउंसिलिंग में 106 ही शिक्षक शामिल
हुए थे, जिनसे साथ के साथ विकल्प भरवाकर रिक्त चल रहे नए विद्यालयों का
आवंटन कर दिया गया था। शिक्षकों को सात दिन के भीतर अपने विद्यालय से रिलीव
होकर नए विद्यालयों में ज्वाइन करने को कहा गया था। मगर निर्धारित समय
सीमा के तीन दिन बाद तक भी ज्यादातर शिक्षकों ने नए विद्यालयों में ज्वाइन
करना तो दूर की बात पुराने विद्यालय तक नहीं छोड़े हैं। विभागीय सूत्रों ने
बताया कि विद्यालयों से रिलीव होने के डर से कई शिक्षक मेडिकल पर चले गए
हैं। सूत्रों ने यह भी बताया कि गत वर्षों में भी शिक्षक समायोजन का अनादर
करते रहे हैं और विभाग हमेशा बिना कोई कार्रवाई किए शांत रहता है।
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देहात में जाना पसंद नहीं करते शिक्षक
विभाग
की लचर व्यवस्था और शिक्षकों की मनमानी की वजह से देहात के अनेक विद्यालय
एक-एक शिक्षक के भरोसे चल रहे हैं। ज्यादातर शिक्षक शहरी क्षेत्र में रहना
चाहते हैं या फिर रोड से सटे विद्यालयों में, जिससे जाने और आने में कठिनाई
न हो। यही वजह है कि शहर के अनेक विद्यालयों में बच्चों की संख्या के
अनुसार शिक्षकों की तैनाती नहीं है। गांधी पार्क में संचालित प्राथमिक और
उच्च प्राथमिक विद्यालय इसका बेहतर उदाहरण हैं, जहां प्राथमिक में छह
बच्चों पर एक शिक्षक और एक शिक्षा मित्र तथा उच्च प्राथमिक में 18 बच्चों
पर दो शिक्षक तैनात हैं।
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समायोजित
हुए जिन शिक्षकों ने अभी तक अपने पुराने विद्यालय छोड़कर नए विद्यालयों
में ज्वाइन नहीं किया है। उनको चिह्नित किया जा रहा है। विभाग ऐसे शिक्षकों
का वेतन रोकने की कार्रवाई करेगा। यदि फिर भी नहीं मानते हैं तो
नियमानुसार कठोर कार्रवाई अमल में लाई जाएगी।
- रमेंद्र कुमार सिंह, बीएसए।