राजधानी के जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान (डायट) की तर्ज पर अब हर
जिले में डायट और डीएलएड कॉलेजों के प्रशिक्षुओं को 14 वर्ष से ऊपर आयु
वाले निरक्षर को साक्षर बनाने की जिम्मेदारी दी जाएगी।
‘ईच वन टीच वन’
योजना के तहत अभी इसकी शुरुआत लखनऊ में निरक्षरों को चिह्नित करने से की गई
है, इसे प्रदेश भर में लागू करने की तैयारी है। इस संबंध में जल्द ही
राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एससीईआरटी) की ओर से डायट
प्राचार्यों को निर्देश जारी किए जाएंगे।
एसएसए के संयुक्त निदेशक (जेडी) एवं डायट प्राचार्य डॉ. पवन कुमार सचान ने
बताया कि राजधानी के डायट से 'ईच वन टीच वन' योजना की शुरुआत की गई है।
यहां डीएलएड 2017 एवं 2018 बैच के प्रशिक्षुओं के माध्यम से 14 वर्ष से ऊपर
वाले 40 से ज्यादा ऐसे निरक्षरों का चयन किया गया है जो शिक्षित होना
चाहते हैं। दो अक्टूबर से इन्हें साक्षर बनाने की शुरुआत की जाएगी। इस
योजना को प्रदेश भर में लागू करने की तैयारी है। सचान के मुताबिक, हर जिले
में जो भी डायट हैं, उनके माध्यम से सभी डीएलएड कॉलेजों को कम से कम 15-15
ऐसे निरक्षरों को साक्षर करने का लक्ष्य दिया जाएगा जो पढ़ना चाहते हैं। यह
निरक्षर उनके कॉलेज अथवा डायट के आसपास से चयनित किए जाने की छूट रहेगी।
हर जिले में डीएलएड कॉलेजों को दिया जाएगा 15 निरक्षरों को साक्षर करने का लक्ष्य
'एक प्रशिक्षु, एक प्रवेश' योजना के तहत डीएलएड प्रशिक्षुओं को 10 बोनस अंक
दिए जाते हैं। इसी तर्ज पर निरक्षरों को साक्षर बनाने वाले डीएलएड
प्रशिक्षुओं को भी पुरस्कार स्वरूप कुछ देने की तैयारी है। इसको लेकर भी
मंथन चल रहा है।
निरक्षरों को शिक्षित करने से पहले उनका नाम, माता-पिता का नाम, आयु, जन्म
तिथि, व्यवसाय, आधार नंबर, आवास का पता, कार्यस्थल का पता, मोबाइल नंबर,
फोटो, पास का परिषदीय विद्यालय, निरक्षर रहने का मुख्य कारण का पूरा विवरण
देना होगा।
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