परिषदीय प्राथमिक स्कूलों में 68500 सहायक अध्यापकों की भर्ती ने चार
बड़े विवाद खड़े कर दिए हैं। वर्तमान सरकार की सबसे बड़ी भर्ती को लेकर जिस
तरह के विवाद हैं, उनका जल्द सुलझना संभव नहीं दिख रहा। 40 हजार से अधिक
अभ्यर्थियों को नौकरी मिल चुकी है लेकिन सैकड़ों योग्य अभ्यर्थी ऐसे हैं जो
विभाग की गलती के कारण दर-दर की ठोकरें खा रहे हैं।
हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच
ने पिछले दिनों साफ कर दिया है कि भर्ती उसके निर्णय के अधीन होगी। फिलहाल
शासन की तीन सदस्यीय कमेटी भर्ती से जुड़े विभिन्न विवादों पर अपनी रिपोर्ट
जल्द सौंपने जा रही है।
भर्ती से जुड़े चार प्रमुख विवादों पर एक नजर-.
योग्य अभ्यर्थियों को नहीं मिली टीचरी.
शिक्षक भर्ती के गलत परिणाम के कारण कई योग्य अभ्यर्थियों को नौकरी नहीं
मिली। अनुसूचित जाति वर्ग की छात्रा सोनिका देवी के मामले में हाईकोर्ट में
यह साबित हो गया कि उसकी कॉपी बदली गई है। परीक्षा नियामक प्राधिकारी
कार्यालय की ओर से 13 अगस्त को घोषित परिणाम में 23 फेल अभ्यर्थियों को पास
कर दिया गया था। इन 23 में से दो अभ्यर्थी तो ऐसे थे जो परीक्षा में
सम्मिलित तक नहीं हुए थे लेकिन पास कर दिया गया। कई अभ्यर्थी ऐसे हैं जो
वास्तव में पास थे लेकिन फेल कर दिये गए थे। जैसे अंकित कुमार वर्मा को
कॉपी पर 122 नंबर मिले थे लेकिन परिणाम में 22 देकर फेल कर दिया गया।
सोनिका देवी और अंकित वर्मा जैसे तमाम योग्य अभ्यर्थी ऐसे हैं जो गलत
परिणाम के कारण सहायक अध्यापक नहीं बन सके हैं।.
पूर्णांक/प्राप्तांक गलत होने से बाहर सैकड़ों :
शिक्षक भर्ती के ऑनलाइन आवेदन में पूर्णांक/प्राप्तांक गलत भरने के कारण
सैकड़ों अभ्यर्थी बाहर हो गये। इन अभ्यर्थियों ने लिखित परीक्षा के लिए जो
ऑनलाइन सूचनाएं भरीं थीं उसी के आधार पर काउंसिलिंग करा दी गई।
पूर्णांक/प्राप्तांक मूल रिकार्ड से भिन्न होने के कारण नियुक्ति पत्र रोक
लिया गया है। शासन ने सभी बेसिक शिक्षा अधिकारियों से ऐसे अभ्यर्थियों की
सूचनाएं मांगी है। अब इनका भविष्य सरकार पर निर्भर है।.
जिला आवंटन में अनियमितता से नाराजगी
भर्ती के लिए दो बार जिला आवंटन सूची जारी होने के कारण अनियमितता पाई
गई। पहली बार 31 अगस्त को 34660 अभ्यर्थियों को जिला आवंटित किया गया था।
इस सूची में छह हजार से अधिक योग्य अभ्यर्थियों का नाम नहीं होने पर बवाल
हुआ तो आनन-फानन में दो सितंबर को 6127 आवेदकों का जिला आवंटन किया गया।
दूसरी बार कम मेरिट वाले सामान्य वर्ग के शिक्षकों को उनके पसंदीदा पहले या
दूसरे जिले का विकल्प मिल गया जबकि पहली लिस्ट में उनसे अधिक मेरिट वाले
शिक्षकों को उनके घर से सैकड़ों किमी दूर के जिले दिये गये थे। इसे लेकर
पहली लिस्ट के हाई मेरिट वाले शिक्षकों में नाराजगी है और कई ने हाईकोर्ट
में याचिकाएं भी कर दी हैं।.
30/33 प्रतिशत वाले फेल भी मांग रहे अवसर
इस भर्ती परीक्षा में असफल 30/33 प्रतिशत अंक वाले अभ्यर्थी भी अवसर मांग
कर रहे हैं। सरकार ने 21 मई को अर्हता अंक में बदलाव करते हुए सामान्य व
ओबीसी वर्ग के अभ्यर्थियों को 49 नंबर (33 प्रतिशत) जबकि एससी/एसटी वर्ग के
अभ्यर्थियों को 45 नंबर (30 प्रतिशत) पर पास करने का आदेश दिया था। लेकिन
परिणाम नौ जनवरी के शासनादेश में दिए गए अर्हता अंक 67 (45 प्रतिशत) नंबर
पाने वाले सामान्य व ओबीसी जबकि 60 अंक (40 प्रतिशत) अंक पाने वाले
एससी/एसटी वर्ग के अभ्यर्थियों को सफल घोषित किया गया। जो अभ्यर्थी 30/33
प्रतिशत के कटऑफ में असफल हो रहे हैं वे भी भर्ती में अवसर की मांग कर रहे
हैं। उनका तर्क है कि 68500 भर्ती में 27 हजार से अधिक खाली है। ऐसे में
उन्हें अवसर मिलना चाहिए।
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