सुप्रीमकोर्ट का बड़ा फैसला: 'कोर्ट के आदेश से बहाल कर्मचारी पिछले वेतन का दावा करने का हकदार नहीं'

सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम फैसले में सोमवार को कहा कि नौकरी से हटाए गए किसी कर्मचारी को अदालत के आदेश से यदि बहाल किया जाता है तो वह अदालत के आदेश मात्र से ही हटाई गई अवधि के लिये वेतन पाने का हकदार नहीं हो जाता है।
कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि कर्मचारी उस अवधि के लिए तभी वेतन का दावा कर सकता है, जब वह यह साबित कर सके कि इस दौरान वह कहीं और नौकरी नहीं कर रहा था और उसकी आय का कोई जरिया नहीं था। जस्टिस एएम सपरे और जस्टिस एसऐ नजीर की पीठ ने कहा कि यह सिद्ध करना प्राथमिक तौर पर कर्मचारी का काम है। हालांकि, नियोक्ता भी यह साबित कर सकता है कि उक्त अवधि में कर्मचारी कहीं और कार्यरत था। पीठ ने कहा कि दूसरे शब्दों में यदि कहा जाए तो किसी भी कर्मचारी को केवल इस आधार पर कि न्यायालय ने उसे नौकरी से हटाने के आदेश को खारिज कर दिया है और नौकरी पर उसकी पुनर्नियुक्ति का निर्देश दिया है, उसे नौकरी से हटाई गई अवधि के वेतन का दावा करने का अधिकार नहीं है।
कोर्ट का यह आदेश दो मामलों की सुनवाई में आया। इसमें से एक मामला राजस्थान राज्य सड़क परिवहन निगम द्वारा एक वाहनचालक फूल चंद को नौकरी से निकाले जाने का था। दूसरा मामला राजस्थान के सरकारी स्वास्थ्य एवं अभियंता विभाग द्वारा 37 कर्मियों को निकाले जाने का था।