अब फर्जी नामांकन रोकने को खोजना होगा नया ‘आधार’

शीर्ष कोर्ट ने भले ही स्कूल-कालेजों में आधार नंबर की अनिवार्यता खत्म कर दी है लेकिन, प्रदेश के शैक्षिक संस्थानों के आकड़े कुछ अलग तस्वीर बयां कर रहे हैं।
आधार नंबर लागू होने के बाद तमाम संस्थानों में छात्र-छात्रओं की संख्या में गिरावट आई है, अफसर खुलकर स्वीकार करते रहे हैं कि फर्जी नामांकन रोकने में आधार नंबर कारगर साबित हुआ है। अब फर्जीवाड़ा रोकने के लिए उन्हें कोई और ‘आधार’ खोजना होगा।

यूपी बोर्ड में 8.51 लाख परीक्षार्थी कम : यूपी बोर्ड की हाईस्कूल व इंटर 2019 की परीक्षा में पिछले वर्ष की अपेक्षा 8.51 लाख परीक्षार्थी घट गए हैं। बोर्ड सचिव नीना श्रीवास्तव स्वीकार करती हैं कि यह कमी इसलिए हुई क्योंकि कक्षा नौ व 11 के पंजीकरण में आधार नंबर अनिवार्य हुआ था। ऐसे ही इस बार कक्षा नौ व 11 के पंजीकरण में पिछले वर्ष की तुलना में 5.30 लाख छात्र-छात्रएं कम हुए हैं। ज्ञात हो कि बोर्ड प्रशासन को 2018 की यूपी बोर्ड परीक्षा से पहले 83 हजार से अधिक परीक्षार्थियों को बाहर करना पड़ा था।

परिषद में 3.20 लाख बच्चे घटे : बेसिक शिक्षा परिषद के प्राथमिक व उच्च प्राथमिक स्कूलों में प्रवेश के समय आधार नंबर देना अनिवार्य नहीं था लेकिन, विभाग प्रवेश लेने वाले हर बच्चे का आधार नंबर तैयार करा रहा था। इसका असर नामांकन में दिखा। 2016-17 में गत वर्ष से दो लाख नामांकन बढ़ा था, 30 सितंबर, 2017 को एक करोड़ 54 लाख 22047 बच्चे नामांकित थे, इस वर्ष 30 जुलाई को यह संख्या एक करोड़ 51 लाख 1247 पर रुक गई, यानी पिछले वर्ष से 3.20 लाख बच्चे कम हो गए हैं। हालांकि अफसरों का दावा है कि 30 सितंबर तक नामांकन और बढ़ेगा।

बीटीसी कालेजों में रहा हड़कंप :प्रदेश में प्राथमिक शिक्षक तैयार करने वाले प्रशिक्षण संस्थान इधर तेजी से खुले हैं। डायट के अलावा करीब तीन हजार निजी कालेज चल रहे हैं। वहां शिक्षकों की कमी है, तमाम शिक्षक कई-कई कालेजों से संबद्ध रहे हैं। इस पर अंकुश लगाने को एससीईआरटी निदेशक संजय सिन्हा ने सभी का आधार नंबर मांगा था। इससे हड़कंप मचा रहा, हालांकि तमाम कालेजों ने अब तक इस संबंध में रिपोर्ट नहीं दी है।

अब बायोमीटिक हाजिरी का सहारा : माध्यमिक कालेजों में बायोमीटिक हाजिरी पर काफी जोर दिया जा रहा है, अब परिषदीय स्कूलों में भी इसे लगाने के निर्देश हुए हैं।