Tuesday 30 October 2018

UPTET 2017 एग्जाम में असफल अभ्यर्थियों को सुप्रीमकोर्ट से मिली राहत, 41 हजार शिक्षकों की नियुक्तियों में फेरबदल के आसार

यूपी शिक्षक भर्ती से जुड़े टीईटी परीक्षा 2017 में खामियों का मामले में असफल अभ्यर्थियों को सुप्रीम कोर्ट से राहत मिली है. सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के डिवीजन बेंच के आदेश को निरस्त कर दिया है.सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट से असफल अभ्यर्थियों के मामले पर दुबारा विचार करने को कहा है. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद 41 हजार शिक्षकों की नियुक्तियों में फेरबदल के आसार है।

दरअसल, साल 2017 में 41 हजार शिक्षकों के पद के लिए यूपी में टीईटी परीक्षा हुई थी, इस परीक्षा के प्रश्न पत्र में गलत प्रश्न आ गए थे. अभ्यर्थियों का आरोप है कि इसके चलते उनकी मैरिट नहीं आ पाई. हाईकोर्ट की सिंगल बेंच ने परीक्षा में गलत प्रश्न के लिए राज्य सरकार को 14 अंक घटाने को कहा था, लेकिन राज्य सरकार हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच चली गई और डिवीजन बेंच ने सिंगल बेंच के आदेश को रद्द कर दिया. असफल अभ्यर्थियों की तरफ से वकील आरके सिंह ने पैरवी की.
आपको बता दें कि कोर्ट ने सरकार को आदेश दिया था कि 14 गलत प्रश्नों के नंबर हटाकर फिर से टीईटी-2017 का परिणाम घोषित किया जाए. एक माह में यह प्रक्रिया पूरी की जाए, उसके बाद ही सहायक शिक्षक भर्ती परीक्षा करवाई जाए. कोर्ट ने कहा कि 15 अक्टूबर-2017 को करवाई गई टीईटी में नैशनल काउंसिल फॉर टीचर एजुकेशन (एनसीटीई) के नियमों का पालन नहीं किया गया.कोर्ट ने पाया कि टीईटी में 8 प्रश्न गलत थे. संस्कृत भाषा के दो प्रश्नों के विकल्प गलत थे. चार प्रश्न पाठ्यक्रम के बाहर से थे और लैंग्वेज के पेपर में उचित नंबर के प्रश्न नहीं थे.
ये आदेश टीईटी-2017 को चुनौती देने वाली 300 से अधिक रिट याचिकाओं पर फैसला सुनाते हुए पारित किया गया था.याचिकाओं में कहा गया था कि परीक्षा एनसीटीई के दिशा-निर्देशों के तहत नहीं करवाई गई. परीक्षा नियंत्रक प्राधिकरण के सचिव ने 24 दिसम्बर 2014 को शासनादेश जारी किया था. शासनादेश के तहत जो पाठयक्रम तय किया गया था कई प्रश्न उससे बाहर से पूछे गए. कुछ प्रश्न गलत थे, तो कई के विकल्प गड़बड़ थे, इन्हीं गड़बड़ियों की वजह से याचियों ने टीईटी-2017 रद्द करने की मांग की थी.
发表于 /