एएमयू कोर्ट की बैठक में शिक्षकों का नहीं होगा प्रतिनिधित्व, ये हैं कारण

अलीगढ़ (जेएनएन) अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में दो दिसंबर को हो रही कोर्ट की बैठक में  शिक्षकों का प्रतिनिधित्व नहीं होगा। शिक्षक कोटे से चुने जाने वाले दस सदस्यों का कार्यकाल पूरा हो चुका है। नवनिर्वाचित कोर्ट मेंबर भी इस बैठक में शामिल नहीं हो सकेंगे।
पुराने मेंबर ही बैठक का हिस्सा बनेंगे। इंतजामिया ने बैठक का नोटिस तो जारी कर दिया, लेकिन एजेंडे का पता नहीं है। इससे असमंजस की स्थिति यह भी बनी हुई है कि बैठक में चांसलर का चुनाव होगा या नहीं।
बैठक में रखे जाते हैं नीतिगत मामले
एएमयू में हर साल कोर्ट की बैठक होती है। इसमें बजट से लेकर तमाम नीतिगत मसलों को रखा जाता है। चांसलर, प्रो-चांसलर व ट्रेजरर का चुनाव होता है। नोटिस के साथ एजेंडा भी कोर्ट सदस्यों को दिया जाता है, लेकिन ऐसा नहीं हो सका है। एएमयू कोर्ट में शिक्षकों का भी प्रतिनिधित्व रहता है। इसके लिए 10 मेंबर के लिए चुनाव होता है। इनमें दो प्रोफेसर, तीन एसोसिएट प्रोफेसर व पांच असिस्टेंट प्रोफेसर के होते हैं। पिछले साल शिक्षकों के कोटे से चुने गए सदस्यों का कार्यकाल खत्म हो चुका है। कोर्ट की बैठक से पहले शिक्षकों का चुनाव होना चाहिए था, जो नहीं हो सका है। तीन नवंबर को हुए चुनाव में कोर्ट मेंबर चुने गए छात्र भी बैठक शामिल नहीं हो सकेंगे, क्योंकि पुराने कोर्ट मेंबर का कार्यकाल दो जनवरी को पूरा होगा।

सैयदना दोबारा या अजीम प्रेमजी
बैठक का एजेंडा अभी सामने नहीं आया है, लेकिन चर्चा है कि चांसलर का चुनाव भी होगा।  प्रोचांसलर व ट्रेजरर को भी सदस्य चुनेंगे। चांसलर के लिए कई नामों की चर्चा है। इनमें पूर्व चांसलर बोहरा समाज के सैयदना मुफददल सैफुददीन, जस्टिस एमएमए सिद्दीकी, विप्रो के मुखिया अजीम प्रेमजी, मणिपुर की राज्यपाल नजमा हेपतुल्ला, कारोबारी जफर सरेशवाला के नाम शामिल हैैं। सबसे अधिक चर्चा सैयदना व अजीम प्रेमजी के नाम की है। सैयदना ने चांसलर रहते हुए एएमयू की काफी मदद की। अजीम प्रेमजी छात्रों को कारोबार से जुड़ी सौगात दे सकते हैं। इसे ही चर्चा का आधार बताया जा रहा है।
बैठक स्थगित होनी चाहिए
ईसी सदस्य प्रो. आफताब आलम का कहना है कि पहले शिक्षकों का चुनाव कराया जाए, तभी कोर्ट की बैठक होनी चाहिए। इंतजामिया को बैठक स्थगित कर देनी चाहिए। ऐसे तो शिक्षकों का प्रतिनिधित्व नहीं हो सकेगा।

पुराने कोर्ट मेंबर शिक्षक होंगे शामिल

जनसंपर्क कार्यालय के मेंबर इंचार्ज प्रो. शाफ किदवई का कहना है कि ऐसी कोई अनिवार्यता नहीं है कि शिक्षकों के कोटे से कोर्ट मेंबर चुने जाएं, तभी बैठक बुलाई जाए। पूर्व में भी इस तरह की बैठकें हो चुकी हैं। छात्र कोटे से कोर्ट मेंबर चुने गए छात्र बैठक में शामिल नहीं होंगे, पुराने कोर्ट मेंबर ही शामिल हो सकेंगे। उनका कार्यकाल दो जनवरी को खत्म होगा।