69000 शिक्षक भर्ती में बीएड-बीटीसी 60/65 नहीं मान रहे योग्यता के साथ न्याय, पढें एक अभ्यर्थी की पीड़ा और अपील
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ToMaR:
आज के अखबार में 69000 शिक्षक भर्ती पर माननीय हाईकोर्ट के द्वारा कुछ विशेष टिप्पणियों के साथ योग्यता के साथ न्याय नही हुआ।
किसी एक सामान्य भर्ती में किसी एक विशेष वर्ग के पक्ष में आदेश दिया गया जिससे परीक्षा में प्रतिभाग किए B.Ed बीटीसी व अन्य अभ्यर्थियों द्वारा समानता के अधिकार की याचना ऊपर के बेंच में जाना लगभग तय ।। सरकार द्वारा यदि शिक्षामित्रों को ही अध्यापक के पद पर रखना था तो उस परीक्षा में उनके साथ B.Ed या बीटीसी कैंडिडेट को क्यों शामिल कराया गया जिनसे मात्र परीक्षा में शामिल होने की औपचारिकता मात्र पूरी कराई गई?? कुछ साधारण बिंदुओं, जिसको #सरकार माननीय न्यायालय को नही बता पायी जिससे बीएड बीटीसी वालों को न्याय नहीं मिला वो निम्नवत है :--
1-- प्रश्न :--आखिर पूर्व भर्ती से इस गतिमान भर्ती में कट ऑफ में 20% की वृद्धि क्यों की गई ???
उत्तर-- क्योंकि दोनों भर्ती प्रक्रिया में प्रश्न पत्र के आधार अलग अलग थे।। 68500भर्ती परीक्षा लिखित था जिसमें परीक्षाअर्थी के सम्मुख जवाब नही थे।। जबकि इस परीक्षा में परीक्षार्थी के समक्ष चार विकल्प थे।। कट ऑफ में परिवर्तन इसलिए किया गया क्योंकि परीक्षा के आधार परिवर्तित हुए थे।। जब इस परीक्षा में चयन का आधार बदल गया तो मानकों में भी परिवर्तन कर दिए गए यदि कट ऑफ को पूर्व परीक्षा के आधार पर 40 45 किया गया तो वर्तमान वैकल्पिक परीक्षा को भी निरस्त करके भर्ती प्रक्रिया को लिखित परीक्षा के माध्यम से आगे बढ़ाया जाए।।
प्रश्न2-- आखिर 24 घंटे के अंदर कट ऑफ को कैसे लागू कर दिया गया
उत्तर-- कट ऑफ निर्धारित करने की प्रक्रिया पहले से ही गतिमान थी लेकिन परीक्षा की सुचिता बनाये रखने के अंतर्गत एक्स्पर्ट के सामने प्रश्न पत्र परीक्षा होने के बाद भेजा गया जिसकी कठिनता का स्तर उनके द्वारा परीक्षा के उपरांत पेपर प्राप्त करके बताया गया जो सामान्य छात्रों के लिए 60 से 65% निर्धारित किया गया उस रिपोर्ट पर शासन ने अपनी सहमति व्यक्त कर दी।
विज्ञापन में ही उत्तीर्ण अंक को प्राप्त करने की बात पहले से उल्लिखित थी जिसे कैबिनेट द्वारा सहमति भी प्राप्त हो चुकी थी।। फिलहाल सरकार यदि कोई फैसला 24 घंटे में ले ले तो इसके लिए उसको प्रोत्साहित करना चाहिए न कि उसे अवैध घोषित कर देना चाहिए।। निर्णय की जल्दी प्रोत्साहन का विषय है न की अवैधता द्योतक है।।
प्रश्न3-- 60/65% कट ऑफ शिक्षामित्रों के समानता के अधिकार का उल्लंघन है||
उत्तर-- प्राथमिक विद्यालयों में शिक्षक गुणवत्ता को बढ़ाने के लिए भारत में स्थापित संवैधानिक निकाय एनसीटीई के द्वारा शिक्षक चयन का उत्तीर्णांक #मिनिमम परसेंटेज 55 और 60 निर्धारित किया गया है।। चूँकि शिक्षा समवर्ती सूची का विषय है जिसमें चयन आधार दुविधा की स्थिति में कम से कम एनसीटीई के मानको की अनदेखी नहीं की जा सकती थी।। फिलहाल 40 45 प्रतिशत पर शिक्षामित्रों के भारांक को जोड़ने से उनका स्तर B.Ed व बीटीसी की अपेक्षा 40% आगे बढ़ जाता है जिससे परीक्षा में प्रतिभाग किए B.ed और बीटीसी अभ्यर्थियों के समानता के अधिकारों का एक तरफा उल्लंघन है।।
अंतिम अवसर अब सभी बीएड बीटीसी60/65 अभ्यर्थी कुटिल राजनीती से ऊपर उठकर, एकजुट होकर एक नेतृत्व के साथ आगे आयें और अपने हितो की रक्षा सुनिश्चित करें!!
Originally published by https://e-sarkarinaukriblog.blogspot.com/
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आज के अखबार में 69000 शिक्षक भर्ती पर माननीय हाईकोर्ट के द्वारा कुछ विशेष टिप्पणियों के साथ योग्यता के साथ न्याय नही हुआ।
किसी एक सामान्य भर्ती में किसी एक विशेष वर्ग के पक्ष में आदेश दिया गया जिससे परीक्षा में प्रतिभाग किए B.Ed बीटीसी व अन्य अभ्यर्थियों द्वारा समानता के अधिकार की याचना ऊपर के बेंच में जाना लगभग तय ।। सरकार द्वारा यदि शिक्षामित्रों को ही अध्यापक के पद पर रखना था तो उस परीक्षा में उनके साथ B.Ed या बीटीसी कैंडिडेट को क्यों शामिल कराया गया जिनसे मात्र परीक्षा में शामिल होने की औपचारिकता मात्र पूरी कराई गई?? कुछ साधारण बिंदुओं, जिसको #सरकार माननीय न्यायालय को नही बता पायी जिससे बीएड बीटीसी वालों को न्याय नहीं मिला वो निम्नवत है :--
1-- प्रश्न :--आखिर पूर्व भर्ती से इस गतिमान भर्ती में कट ऑफ में 20% की वृद्धि क्यों की गई ???
उत्तर-- क्योंकि दोनों भर्ती प्रक्रिया में प्रश्न पत्र के आधार अलग अलग थे।। 68500भर्ती परीक्षा लिखित था जिसमें परीक्षाअर्थी के सम्मुख जवाब नही थे।। जबकि इस परीक्षा में परीक्षार्थी के समक्ष चार विकल्प थे।। कट ऑफ में परिवर्तन इसलिए किया गया क्योंकि परीक्षा के आधार परिवर्तित हुए थे।। जब इस परीक्षा में चयन का आधार बदल गया तो मानकों में भी परिवर्तन कर दिए गए यदि कट ऑफ को पूर्व परीक्षा के आधार पर 40 45 किया गया तो वर्तमान वैकल्पिक परीक्षा को भी निरस्त करके भर्ती प्रक्रिया को लिखित परीक्षा के माध्यम से आगे बढ़ाया जाए।।
प्रश्न2-- आखिर 24 घंटे के अंदर कट ऑफ को कैसे लागू कर दिया गया
उत्तर-- कट ऑफ निर्धारित करने की प्रक्रिया पहले से ही गतिमान थी लेकिन परीक्षा की सुचिता बनाये रखने के अंतर्गत एक्स्पर्ट के सामने प्रश्न पत्र परीक्षा होने के बाद भेजा गया जिसकी कठिनता का स्तर उनके द्वारा परीक्षा के उपरांत पेपर प्राप्त करके बताया गया जो सामान्य छात्रों के लिए 60 से 65% निर्धारित किया गया उस रिपोर्ट पर शासन ने अपनी सहमति व्यक्त कर दी।
विज्ञापन में ही उत्तीर्ण अंक को प्राप्त करने की बात पहले से उल्लिखित थी जिसे कैबिनेट द्वारा सहमति भी प्राप्त हो चुकी थी।। फिलहाल सरकार यदि कोई फैसला 24 घंटे में ले ले तो इसके लिए उसको प्रोत्साहित करना चाहिए न कि उसे अवैध घोषित कर देना चाहिए।। निर्णय की जल्दी प्रोत्साहन का विषय है न की अवैधता द्योतक है।।
प्रश्न3-- 60/65% कट ऑफ शिक्षामित्रों के समानता के अधिकार का उल्लंघन है||
उत्तर-- प्राथमिक विद्यालयों में शिक्षक गुणवत्ता को बढ़ाने के लिए भारत में स्थापित संवैधानिक निकाय एनसीटीई के द्वारा शिक्षक चयन का उत्तीर्णांक #मिनिमम परसेंटेज 55 और 60 निर्धारित किया गया है।। चूँकि शिक्षा समवर्ती सूची का विषय है जिसमें चयन आधार दुविधा की स्थिति में कम से कम एनसीटीई के मानको की अनदेखी नहीं की जा सकती थी।। फिलहाल 40 45 प्रतिशत पर शिक्षामित्रों के भारांक को जोड़ने से उनका स्तर B.Ed व बीटीसी की अपेक्षा 40% आगे बढ़ जाता है जिससे परीक्षा में प्रतिभाग किए B.ed और बीटीसी अभ्यर्थियों के समानता के अधिकारों का एक तरफा उल्लंघन है।।
अंतिम अवसर अब सभी बीएड बीटीसी60/65 अभ्यर्थी कुटिल राजनीती से ऊपर उठकर, एकजुट होकर एक नेतृत्व के साथ आगे आयें और अपने हितो की रक्षा सुनिश्चित करें!!
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