परिषदीय विद्यालयों में अनुदेशक के बिना कैसे मिलेगा खेलों को बढ़ावा, जूनियर विद्यालयों में रिक्तियां कर दी गई थीं निरस्त

एक तरफ परिषदीय विद्यालयों में पढ़ने वाले छात्र-छात्रओं में अध्यापन के साथ खेलकूद को बढ़ावा देने के लिए भी शासन गंभीर है, वहीं दूसरी ओर शहरी क्षेत्र के जूनियर विद्यालयों में खेलकूद सिखाने वाले खेल अनुदेशक ही नहीं हैं।
अनुदेशकों की नियुक्ति के लिए कुछ समय पहले रिक्तियां निकली थीं, लेकिन उसे निरस्त कर दिया गया था। ऐसे में सवाल उठ रहा है कि विद्यालयों में खेलों को बढ़ावा कैसे मिल सकेगा।

इस शैक्षिक सत्र के लिए प्रत्येक परिषदीय विद्यालयों को खेलकूद के सामान खरीदने के लिए 10-10 हजार रुपये शासन से मिले हैं। शिक्षा निदेशक (बेसिक) ने कक्षा एक से आठ तक के सभी छात्र-छात्रओं को उनकी रुचि के मुताबिक खेलों से जोड़ने के भी निर्देश दिए हैं। अब परिषदीय, सहायता प्राप्त और कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालयों में खेल एवं शारीरिक शिक्षा, रेडक्रास, योग, प्राणायाम विषयक वार्षिक कार्ययोजना तैयार कराने के निर्देश दिए गए हैं। इसी क्रम में जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी कार्यालय से सभी खंड शिक्षा अधिकारियों को जारी आदेश में वार्षिक कार्ययोजना सभी विद्यालयों में भेजने के लिए भी कहा गया है। ताकि उस कार्ययोजना के मुताबिक छात्र-छात्रओं को तैयार किया जा सके। अहम सवाल यह है कि जब शहरी क्षेत्र के जूनियर विद्यालयों में खेल अनुदेशक ही नहीं हैं तो इस कार्ययोजना का क्रियांवयन कैसे होगा। अनुदेशकों की नियुक्ति के लिए शर्त यह है कि विद्यालयों में छात्र-छात्रओं की संख्या 100 से ज्यादा होनी चाहिए। लेकिन शहरी क्षेत्र के कुछेक जूनियर विद्यालयों को छोड़कर बाकी में बच्चों की संख्या 100 से कम है। बहरहाल, अधिकारी कहते हैं कि कुछ समय पहले इन विद्यालयों में अनुदेशकों की नियुक्ति के लिए रिक्तियां निकाली गई थीं, लेकिन फिर शासन स्तर से इसे निरस्त कर दिया गया।

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