CTET: सीटेट में 10% कोटे की मांग के मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र, सीबीएसई और NCTE से मांगा जवाब, अगली सुनवाई 1 जुलाई
नई दिल्ली : केंद्रीय शिक्षक पात्रता परीक्षा (सीटेट) में सामान्य वर्ग के गरीबों के लिए आरक्षण लागू करने की मांग पर गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार, सीबीएसई और नेशनल काउंसिल फॉर टीचर्स एजूकेशन (एनसीटीई) को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। कोर्ट एक जुलाई को फिर सुनवाई करेगा। केंद्रीय शिक्षक पात्रता परीक्षा सात जुलाई को होनी है। यह आदेश न्यायमूर्ति इंदिरा बनर्जी व न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की अवकाशकालीन पीठ ने अभ्यर्थी रजनीश कुमार पांडेय व पांच अन्य की ओर से दाखिल याचिका पर दिए।
याचिकाकर्ताओं के वकील ने कहा कि संसद ने कानून पारित किया है और इसका लाभ आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग को मिलना चाहिए। अगर उन्हें इसके तहत छूट मिलेगी तो वे परीक्षा पास कर लेंगे। वकील ने कहा कि इस कानून को लागू करने के बारे में केंद्र को सुझाव देने चाहिए, लेकिन कोर्ट ने कहा कि यह नीतिगत मामला है और कोर्ट नीतिगत मामले में तब तक दखल नहीं देता जब तक उसे स्पष्ट उल्लंघन न दिखाई दे। याचिका में कहा गया है कि सीबीएसई ने 23 जनवरी को सीटेट-2019 के लिए विज्ञापन निकाला था। इसमें दूसरे आरक्षित वर्गो (एससी-एसटी व ओबीसी) को लाभ देने की बात कही गई है, लेकिन आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग को लाभ देने की बात नहीं है। कानून के मुताबिक आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग को भी अन्य आरक्षित वर्ग की तरह अंकों में छूट मिलनी चाहिए।
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नई दिल्ली : केंद्रीय शिक्षक पात्रता परीक्षा (सीटेट) में सामान्य वर्ग के गरीबों के लिए आरक्षण लागू करने की मांग पर गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार, सीबीएसई और नेशनल काउंसिल फॉर टीचर्स एजूकेशन (एनसीटीई) को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। कोर्ट एक जुलाई को फिर सुनवाई करेगा। केंद्रीय शिक्षक पात्रता परीक्षा सात जुलाई को होनी है। यह आदेश न्यायमूर्ति इंदिरा बनर्जी व न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की अवकाशकालीन पीठ ने अभ्यर्थी रजनीश कुमार पांडेय व पांच अन्य की ओर से दाखिल याचिका पर दिए।
याचिकाकर्ताओं के वकील ने कहा कि संसद ने कानून पारित किया है और इसका लाभ आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग को मिलना चाहिए। अगर उन्हें इसके तहत छूट मिलेगी तो वे परीक्षा पास कर लेंगे। वकील ने कहा कि इस कानून को लागू करने के बारे में केंद्र को सुझाव देने चाहिए, लेकिन कोर्ट ने कहा कि यह नीतिगत मामला है और कोर्ट नीतिगत मामले में तब तक दखल नहीं देता जब तक उसे स्पष्ट उल्लंघन न दिखाई दे। याचिका में कहा गया है कि सीबीएसई ने 23 जनवरी को सीटेट-2019 के लिए विज्ञापन निकाला था। इसमें दूसरे आरक्षित वर्गो (एससी-एसटी व ओबीसी) को लाभ देने की बात कही गई है, लेकिन आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग को लाभ देने की बात नहीं है। कानून के मुताबिक आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग को भी अन्य आरक्षित वर्ग की तरह अंकों में छूट मिलनी चाहिए।
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