संघर्ष के साथियों नमस्कार---
दोस्तों आज हमारे 69000 कट ऑफ मामले की सुनवाई 12:30 से महाधिवक्ता सर् के सबमिशन से शुरू हुई और उन्होंने कोर्ट को अवगत करवाया की माननीय सुप्रीम कोर्ट के आनंद बनाम स्टेट के मामले में कुछ भारांक ,भर्ती में दो मौके और उम्र में छूट दी गयी है।।
इसके बाद सुभाष चंद्र मारवाह,के मंजुश्री और तेज़ प्रकाश पाठक के साथ उत्तर प्रदेश जलनिगम ,दिल्ली एम शी डी के साथ -साथ अन्य कई आदेशो पर जोरदार बहस की और कोर्ट को बताया कि किस प्रकार न्यूनतम अर्हता अंक तय करने का अधिकार सिर्फ सरकार के पास ही है न कि कोर्ट के पास,इस बात को सिद्ध करने के लिए उन्होंने 1981 बेसिक शिक्षा नियमावली का भी सहारा लिया,और कोर्ट को बताया कि हम सिंक्षामित्रो को आनंद बनाम स्टेट के केस के आधार पर उम्र में छूट और भारांक दे रहे हैं किंतु इनको राज्य द्वारा तय न्यूनतम मानकों को पूरा करना ही पड़ेगा।।।
मंजू श्री और मारवाह के आदेशों पर महाधिवक्ता सर द्वारा बहस करते समय सिर्फ इरशाद सर् द्वारा दो बार क्रॉस क्वेश्चन भी किये गए जिसका की सार्थक उत्तर महाधिवक्ता जी द्वारा दिया गया।।लगभग साढ़े तीन घण्टे की बहस में बेंच के सीनियर जज माननीय पंकज जायसवाल जी पूरी तरह से महाधिवक्ता जी की बहस से आस्वस्त दिखे और कोई भी क्रॉस क्वेश्चन नही किया।।।महाधिवक्ता सर् की पूरी बहस क़्वालिटी एजुकेशन के इर्द गिर्द घूमती नजर आयी और उन्होंने सरकार के अधिकारों को कोर्ट को बताया जिससे कोर्ट भी उनकी बहस से पूरी तरह सहमत दिखी।।।
इसके पश्चात 3:45 पर महाधिवक्ता सर् की जब बहस समाप्त हुई तो चन्द्रा सर् ने बहस करना शरू किया जिसपर विपक्षी अधिवक्ता उपेंद्र नाथ मिश्र जी ने विरोध किया कि इनका सबमिशन हो चुका है तो दुबारा से क्यों इसपर चन्द्रा सर् ने कोर्ट को अवगत कराया कि बेन्च बदल गयी है तो हम पुनः सबमिशन करेंगे जिसपर पर कोर्ट सहमत हो गयी और चन्द्रा सर् ने बीएड मुद्दे के साथ अपना सबमिशन शुरू किया और कोर्ट को बताया कि NCTE एक गवर्निंग ऑथोरिटी है जिसने बीएड को allow किया है और इसप्रकार कोर्ट का समय समाप्त हो जाने के कारण उनकी बहस पूरी नही हो पाई तो कोर्ट ने अगली सुनवाई के लिए वृहस्पतिवार सवा दो बजे का निर्धारित किया।।।
नोट-- दोस्तो चूंकि आज हमारे केस की सुनवाई के कारण कोर्ट नम्बर एक कि डेली कॉज लिस्ट के 70 केस नही सुने जा सके थे जिसकारण कोर्ट कल अन्य केस को समय देगी इसलिए कल की सुनवाई सम्भव नही हो सकी।।। दोस्तों आपलोग याद रखें बुधवार को किसी भी फ्रेश केस की सुनवाई नही होती है।।।
धन्यवाद
बीएड लीगल टीम लखनऊ
दोस्तों आज हमारे 69000 कट ऑफ मामले की सुनवाई 12:30 से महाधिवक्ता सर् के सबमिशन से शुरू हुई और उन्होंने कोर्ट को अवगत करवाया की माननीय सुप्रीम कोर्ट के आनंद बनाम स्टेट के मामले में कुछ भारांक ,भर्ती में दो मौके और उम्र में छूट दी गयी है।।
इसके बाद सुभाष चंद्र मारवाह,के मंजुश्री और तेज़ प्रकाश पाठक के साथ उत्तर प्रदेश जलनिगम ,दिल्ली एम शी डी के साथ -साथ अन्य कई आदेशो पर जोरदार बहस की और कोर्ट को बताया कि किस प्रकार न्यूनतम अर्हता अंक तय करने का अधिकार सिर्फ सरकार के पास ही है न कि कोर्ट के पास,इस बात को सिद्ध करने के लिए उन्होंने 1981 बेसिक शिक्षा नियमावली का भी सहारा लिया,और कोर्ट को बताया कि हम सिंक्षामित्रो को आनंद बनाम स्टेट के केस के आधार पर उम्र में छूट और भारांक दे रहे हैं किंतु इनको राज्य द्वारा तय न्यूनतम मानकों को पूरा करना ही पड़ेगा।।।
मंजू श्री और मारवाह के आदेशों पर महाधिवक्ता सर द्वारा बहस करते समय सिर्फ इरशाद सर् द्वारा दो बार क्रॉस क्वेश्चन भी किये गए जिसका की सार्थक उत्तर महाधिवक्ता जी द्वारा दिया गया।।लगभग साढ़े तीन घण्टे की बहस में बेंच के सीनियर जज माननीय पंकज जायसवाल जी पूरी तरह से महाधिवक्ता जी की बहस से आस्वस्त दिखे और कोई भी क्रॉस क्वेश्चन नही किया।।।महाधिवक्ता सर् की पूरी बहस क़्वालिटी एजुकेशन के इर्द गिर्द घूमती नजर आयी और उन्होंने सरकार के अधिकारों को कोर्ट को बताया जिससे कोर्ट भी उनकी बहस से पूरी तरह सहमत दिखी।।।
इसके पश्चात 3:45 पर महाधिवक्ता सर् की जब बहस समाप्त हुई तो चन्द्रा सर् ने बहस करना शरू किया जिसपर विपक्षी अधिवक्ता उपेंद्र नाथ मिश्र जी ने विरोध किया कि इनका सबमिशन हो चुका है तो दुबारा से क्यों इसपर चन्द्रा सर् ने कोर्ट को अवगत कराया कि बेन्च बदल गयी है तो हम पुनः सबमिशन करेंगे जिसपर पर कोर्ट सहमत हो गयी और चन्द्रा सर् ने बीएड मुद्दे के साथ अपना सबमिशन शुरू किया और कोर्ट को बताया कि NCTE एक गवर्निंग ऑथोरिटी है जिसने बीएड को allow किया है और इसप्रकार कोर्ट का समय समाप्त हो जाने के कारण उनकी बहस पूरी नही हो पाई तो कोर्ट ने अगली सुनवाई के लिए वृहस्पतिवार सवा दो बजे का निर्धारित किया।।।
नोट-- दोस्तो चूंकि आज हमारे केस की सुनवाई के कारण कोर्ट नम्बर एक कि डेली कॉज लिस्ट के 70 केस नही सुने जा सके थे जिसकारण कोर्ट कल अन्य केस को समय देगी इसलिए कल की सुनवाई सम्भव नही हो सकी।।। दोस्तों आपलोग याद रखें बुधवार को किसी भी फ्रेश केस की सुनवाई नही होती है।।।
धन्यवाद
बीएड लीगल टीम लखनऊ