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69000 अवैध बीएड लखनऊ हाईकोर्ट ग्राउंड रिपोर्ट:-बीएड विरोधी टीम लखनऊ उच्चन्यायालय

डिटैग पिटीशन के लगभग 80 प्रतिशत ग्राउंड पूरे हुए... सीनियर एडवोकेट उपेन्द्रनाथ मिश्रा जी द्वारा हर एक बिंदु पर विस्तृत व्याख्या प्रस्तुत की गयी... जस्टिस इरशाद साहब द्वारा लगातार किये जा रहे क्रास एग्जामिन का जवाब मिश्रा साहब द्वारा बेहतरीन तरीके से दिया गया है। आइये चर्चा कर लेते हैं कुछ महत्त्वपूर्ण बिंदुओं की...


1:- 23वें संशोधन में बीएड को शामिल करते हुए एपेन्डिक्स 2 में कोई सुधार ही नही किया गया जो एक ब्लेंडर मिस्टेक थी सरकार की और 69k सहायक अध्यापकों के पदों पर प्रशिक्षु शिक्षकों का फ़रमान जारी किया गया।

2:- 24वें संशोधन में नियम (कक) में पुनः 28 जून 2018 एनसीटीई के राजपत्र को 1 जनवरी 2018 से लागू माना गया फिर भी उसमे प्रशिक्षु शिक्षकों का कोई जिक्र नही किये मिस्टेक नम्बर 2।


3:- 25वें संशोधन को तब संशोधित किया गया, जब सिंगल जज ने अपने ऑर्डर में एरर फाइंड आउट किया और एपेन्डिक्स 2 को गलत बताया।

4:- इसी 25वें संशोधन को रूलिंग ब्रिज के माध्यम से 28 जून 2018 से न मानते हुए 1 जनवरी 2018 से लागू माना गया और गलत तरीके से 23वें, 24वें के रूल 14 (a), (b), (c), (d) को ओमिटेड अर्थात विलोपित कर दिया गया।

5:- 69k सहायक अध्यापकों के लिए विज्ञापित पदों को अब न ही 20वे और 22वें से सीधे 25वें से लागू करने को आमदा है सरकार।

6:- ये सभी संशोधन सिंगल की सुनवाई के दौरान मिले एरर पर संशोधित किये गए। जबकि 22वें संशोधन पर सहायक अध्यापक पद की अहर्ता का मामला शुरू हो चुका था।

7:- केंद्र ने 28 जून 2018 को नोडल एजेंसी के तौर पर मिनिमम क़वालीफिकेशन डिसाइड की लेकिन राज्य 6 महीने पहले कैसे 1 जनवरी 2018 को डिसाइड कर सकता है?

8:- सहायक अध्यापक की पोस्ट पर पहले फुल ट्रेंड अभ्यर्थियों का हक है न की अनट्रेंड का, 69k पर कहाँ लिखा है ये पद ट्रेंड टीचर के लिए हैं।

9:- 22वें संशोधन पर बने सर्विस रूल को यूँ ही नकारा नही जा सकता क्योंकि इसमे रूल 2(a) की एपेन्डिक्स 2 बीटीसी और डी-बीटीसी को बिल्कुल अलग रखता है।

10:- 6 माह का सेतु पाठ्यक्रम सिर्फ और सिर्फ प्रशिक्षु शिक्षकों के लिए है न की सहायक अध्यापक के लिए...एक ही पोस्ट पर दो कैंडिडेट्स एक ट्रेनिग पर जाएगा दूसरा डायरेक्ट कैसे ज्वाइन कर सकता है।

       साथियों अभी तमाम ऐसे बिंदु है जिन पर आर्गुमेंट बाकी है...टीम के तरफ से वो सभी माइनर कन्डीशन एडवोकेट पैनल को बताई जा रही हैं जो जरूरी हैं। कोर्ट को मामले की गंभीरता से अवगत कर दिया गया है। आप सभी बीएड की डी-टैग याचिका 14548/2019 के सम्बन्ध में निश्चिंत रहिये हमने इस याचिका का 100 प्रतिशत कोर्ट को समझाने का प्रयास किया है। बहुत जल्द एक नई गतिविधि आप सभी को देखेने के लिए मिलेगी। 14548/2019 पर जरूरत पड़ी तो रेगुलर बेंच में सुनवाई शुरू करा दी जाएगी....

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