*लखनऊ हाईकोर्ट अवैध बीएड अपडेट:-*
69000 में बीएड योग्यता के विरुद्ध योजित याचिकाओं को न्यायालय ने जजमेंट सुलभ बनाए जाने के कारण विच्छेदित (डी-लिंक) कर दिया था, कहीं न कहीं बीएड और पसिंगमार्क प्रकरण एक दूसरे पर निर्भर है...जिसकी तैयारी में टीम ने याचिकाओं के साथ ही एक विकल्प और तैयार कर रखा था जो आज डी-टैग होने के बाद काम आ रहा है...आज कोर्ट में बहस के दौरान उन सभी माइनर प्वाइंट्स का सबमिशन कर दिया गया है, जो पिटीशन में थें कुछ बचे बिंदुओं पर सबमिशन होना बाकी है, जो अपने समय पर डी-टैग होने के बाद भी करा लिया जाएगा।
*कुछ महत्त्वपूर्ण बिंदु जिन पर आज सबमिशन जारी रहा:-*
*1:- 22th संशोधन के अंतर्गत एडवोकेट उपेंद्र नाथ मिश्रा जी द्वारा विस्तृत समीक्षा कोर्ट को बताई गयी, जिसमे सहायक अध्यापक पदों हेतु बीटीसी योग्यता की अनिवार्यता का उल्लेख था...क्योंकि बीएड 22 वें संशोधन में है ही नही। इसी संशोधन में ट्रेनी टीचर और असिस्टेंट टीचर की व्याख्या भी कोर्ट के सामने प्रस्तुत हुई, जिसे कोर्ट ने बहुत ही गंभीरता से नोट डाउन किया।*
*2:- 25 वें संशोधन के अंतर्गत सरकार ने अपनी गलती को किस तरह बैकडेट से सुधारा है उसका भी जिक्र किया गया, उसी बीच जस्टिस इरशाद साहब द्वारा मजाकिया लहजे में कहा गया सरकार तो कुछ भी कर सकती है।*
*3:- किस तरह 23वें संशोधन में क़्वालिटी प्वाइंट के आधार पर बीएड की मेरिट का निर्धारण में सुधार किया गया जो की 22वें में ही हो जाना था?*
*4:- 69k सहायक अध्यापक की भर्ती है जिसमे 6 माह प्रशिक्षण प्राप्त प्रशिक्षु की भर्ती की जा रही है जो असंवैधानिक है। प्रशिक्षु शिक्षकों हेतु सहायक अधयापक पद बना ही नही इनके लिए ट्रेनी टीचर की पोस्ट होनी चाहिये 72825 की तरह।*
*5:- असिस्टेंट टीचर का सर्विस रूल किसी भी सूरत में ट्रेनी टीचर के लिए लागू नही किया जा सकता है।*
साथियों ये महत्त्वपूर्ण बिंदु आपकी जानकारी के लिए साझा किये जा रहे हैं, पिटीशन डी- टैग होने के बावजूद भी टीम के प्री-प्लान से बहस की ओर अग्रसर है। हमने पिटीशन का 70 प्रतिशत बहस में इंक्लूड करा लिया है।
*बीएड विरोधी टीम उच्च न्यायालय लखनऊ खण्डपीठ*