69 हजार शिक्षक भर्ती: सपा एमएलसी सुनील सिंह ने यूपी सरकार से पूछा कटऑफ न जारी करने का कारण

उत्तर प्रदेश में 69 हजार शिक्षकों की चल रही भर्ती (UP 69000 Assistant Teacher Recruitment) में सबसे राज की बात यह है कि अभी किसी को यही नहीं मालूम है कि आखिरकार भर्ती की कटऑफ क्या रही है। भर्ती में आरक्षित, अन्य पिछड़ा वर्ग और अनुसूचित जाति की आखिरी कटऑफ क्या रही है, यह राज अभी तक बेसिक शिक्षा विभाग (Basic Education Department) ने छुपा रखा है। इस शिक्षक भर्ती में चयनित न होने वाले अभ्यर्थियों को यही नहीं पता है कि आखिरकार कितने गुणांक तक मेरिट गई है और कितने पर लोगों का चयन हुआ है। अभ्यर्थी मेरिट के आधार पर ही चयनित छात्रों का आंकड़ा लगा रहे हैं।


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भर्ती (UP 69000 Assistant Teacher Recruitment)  प्रक्रिया में पारदर्शिता न होने पर सवाल उठाते हुए सपा एमएलसी सुनील सिंह साजन (SPA MLC Sunil Singh Sajan) ने सीएम ने कटऑफ लिस्ट मांगी है। उन्होंने सीएम को पत्र लिखकर बेसिक शिक्षा विभाग के सचिव और निदेशक से भर्ती (UP 69000 Assistant Teacher Recruitment) की कटऑफ लिस्ट उपलब्ध कराए जाने की अपील की है।
सपा एमएलसी ने इस संबंध में सीएम सहित सचिव और निदेशक पूरा फार्मेट भेजा है। उन्होंने इस भर्ती में चयनित सभी शिक्षकों की कटऑफ मांगा है, ताकि शिक्षक भर्ती (UP 69000 Assistant Teacher Recruitment)  की स्थिति का आंकड़ा साफ हो सकें। निदेशालय की तरफ से इस शिक्षक भर्ती (UP 69000 Assistant Teacher Recruitment)  में घालमेल किया गया है, जैसा लगातार आरोप अभ्यर्थी कर रहे हैं।
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सुनील सिंह साजन ने मांगा यह डेटा

इस शिक्षक भर्ती को लेकर एमएलसी सुनील सिंह साजन (SPA MLC Sunil Singh Sajan) ने सीएम को पत्र लिखकर कहा है कि 69 हजार शिक्षक भर्ती (UP 69000 Assistant Teacher Recruitment) की जिला आवंटन सूची जारी की गई है, जिसमें अभ्यर्थियों के गुणांक, आवेदित वर्ग और आबंटित वर्ग सहित आदि का विवरण जारी नहीं किया गया है। उन्होंने कहा कि बेसिक शिक्षा परिषद (Basic Education Department) ने वर्गवार प्रदेश स्तरीय कोई कटऑफ अंक नहीं जारी किया गया है। सचिव की तरफ से जारी गई जिला आंबटन सूची पृथक-पृथक न जारी करते हुए केवल जिला आंबटन सूची जारी किया गया है। उन्होंने (SPA MLC Sunil Singh Sajan) बेसिक शिक्षा अध्यापक सेवा नियमावली का हवाला देते हुए 1981 के तहत सूची जारी करने की मांग की है।
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इन वर्गों का मांगा पूरा आंकड़ा

सपा एसएलसी सुनील सिंह साजन (SPA MLC Sunil Singh Sajan) ने रिक्त पदों का वर्गवार विवरण प्रकाशित करने की मांग करते हुए बेसिक शिक्षा परिषद (Basic Education Department) के सचिव से शिक्षक भर्ती (UP 69000 Assistant Teacher Recruitment) का विवरण उपलब्ध कराने के लिए कहा है।
उन्होंने कहा अनारक्षित, अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC), अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति की कटऑफ मांगी है। इसके अलावा विशेष आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थी भूतपूर्व सैनिक, स्वतंत्रता संग्राम सेनानी, दृष्टि बाधित, श्रवण बाधित और चलन क्रिया वाले दिव्यांगों (Handicapped Reservation) की कटऑफ भी उपलब्ध कराने के लिए कहा है। यही नहीं, उन्होंने आरक्षण वर्ग के नियमों का पालन करते हुए वर्ग वार रिक्तियों के सापेक्ष चयन सूची भी फार्मेट के हिसाब से मांगी है।
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लगातार लग रहे आरक्षण से खिलवाड़ के आरोप

उत्तर प्रदेश के बेसिक शिक्षा परिषद (Basic Education Department) की 69 हजार शिक्षक भर्ती (69000 Assistant Teachers) प्रक्रिया में विवादों का साया लगातार बढ़ता जा रहा है। एमएलसी सुनील सिंह साजन ही नहीं इससे पहले कई विधायक और सांसद भी आरक्षण से खिलवाड़ का आरोप लगाते हुए सही तरह से भर्ती करने की मांग सीएम से की है।
वहीं, दूसरी तरफ आरक्षण से खिलवाड़ करने पर अभ्यर्थियों में परिषद के प्रति काफी रोष बढ़ता जा रहा है। मेरिट लिस्ट को जारी करने में जिस तरह की धांधली हुई है, उससे राहत पाने के लिए अब लोग न्यायालय की शरण में जा रहे हैं। इस समय अभ्यर्थी न्यायालय में जाकर जिन बिंदुओ पर अर्जी लगा रहे हैं, उनमें एमआरसी सिस्टम, दिव्यांगों को आरक्षण कम देना और मेरिट लिस्ट में त्रुटि सहित अन्य प्रमुख बिन्दु है।

इस बार एमआरसी सिस्टम के आधार पर 69 हजार शिक्षकों की भर्ती (69000 Assistant Teachers) प्रक्रिया की गई है। इस नियम की वजह से कटऑफ में जनरल और ओबीसी (OBC) की मेरिट में कुछ ज्यादा अंतर नहीं रह गया है। सबसे बड़ी बात यह है कि एमआरसी (MRC System) लागू होने की वजह से ओबीसी वर्ग के हजारों अभ्यर्थियों को नुकसान हुआ है। एमआरसी (MRC) लागू होने की वजह से ही ओबीसी (OBC) और एससी (SC) वर्ग के हजारों अभ्यर्थी वंचित भी रह गए। इस शिक्षक भर्ती में जिलों के आबंटन में करीब 31 हजार रैंक तक ही सामान्य वर्ग के अभ्यर्थियों का चयन होना था, लेकिन करीब 51 हजार से ऊपर रैंक तक पर भी चयन हुआ है। आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों का इस तरह से चयन होने से काफी नुकसान हो गया है। यही नहीं, इससे हजारों अभ्यर्थी चयन से वंचित रह गए हैं।