मुंगराबादशाहपुर (जौनपुर) । शासनादेश के अनुपालन में जिलाधिकारी दिनेश कुमार सिंह एवं जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी के निर्देश पर परिषदीय विद्यालयों में शिक्षकों की उपस्थिति अनिवार्य किए जाने के याद भी शिक्षकों के विद्यालयों में उपस्थिति नगण्य होने की सूचना पर खण्ड विकास अधिकारी मुंगरा बादशाहपुर जवाहर लाल यादव मे सभी न्याय पंचायत समन्ययकों को प्रतिदिन अपने न्याय पंचायत के तीन विद्यालयों का निरीक्षण करने का निर्देश दिया है । लेकिन इसका अनुपालन कितना हो रहां है उसका अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि तीन दिम में
एक भी शिक्षक के विरुद्ध कोई शिकायत दर्ज नहीं हो सफी । आखिर क्यों ? पूरी तरह रहस्यमय बना है. | जबकि खण्ड शिक्षा अधिकारी ने स्यय॑ स्वीकार किया है कि मेरे संज्ञान में आया है कि शिक्षक समय पर विद्यालय नहीं आ रहें हैं । यदि देखा जाए तो न्याय पंचायत समन्ययक भी एक विद्यालय में नियुक्त हुए हैं जो शिक्षण कार्य करने की बजाय खण्ड शिक्षा अधिकारी की चमथागिरी करने में ही लगे रहते हैं | इतना ही महीं म्याय पंचायत समम्वयक खण्ड शिक्षा अधिकारी के लिए कमाऊ पूत बन गए हैं । जो लापरवाही बरतने वाले शिक्षकों पर खण्ड शिक्षा अधिकारी की गाज गिरामे से बचाव हेतु सेतु का दायित्व निमाने में पूरी तरह सक्रिय हैं | दो दिन पूर्व खण्ड शिक्षा अधिकारी जवाहर लाल यादव ने मुंगराबादशाहपुर के प्राथमिक शिक्षा के ग्रुप में एक मैसेज वायरल किया था कि सभी म्याय पंचायत समन्वयक अपने अपने न्याय पंचायत के विद्यालयों में प्रत्येक दिन 3 विद्यालयों का निरीक्षण 7 बजकर 45 मिमट से 8 बजकर 30 मिनट के बीच शिक्षकों की उपस्थिति पंजिका का निरीक्षण करें तथा अनुपस्थित शिक्षकों को उपस्थिति पंजिका पर अनुपस्थित कर उपस्थिति पंजिका की फोटो ग्रुप में प्रेषित करें जिससे अनुपस्थित पाए गए शिक्षकों के बारे में उच्चाधिकारियों के सूचित किया जा सके | अब सवाल उठता है कि जब खण्ड शिक्षा अधि कारी को यह पता है कि कुछ शिक्षक लगातार अनुपस्थित चल रहे हैं तो न्याय पंचायत समन्वयक को यह जिम्मेदारी देने की बजाय स्वयं निरीक्षण क्यों नहीं किया । लोगों की मानें तो यह जिम्मेदारी सभी प्रधानाध्यापकों को दे दिया गया होता की वह समय समय पर उपस्थित शिक्षकों की सेल्फी लेकर युप में पोस्ट करेंगे । लेकिन ऐसा नहीं हुआ | कारण की इसमें उमके चहेते शिक्षकों का फंसमा तय था जो विद्यालयों में उपस्थित रहने की बजाए महज खण्ड शिक्षा अधिकारी कार्यालय की परिक्रमा करते हैं । दूसरी बात यह कि जब शासन न्याय पंचायत समन्वयक का पद समाप्त कर दिया गया हैं तो किस प्रकार से खण्ड शिक्षा अधिकारी मुंगरा बादशाहपुर द्वारा उन्हें जिम्मेदारी दी जा रही है | यह शासनादेश के प्रतिकूल होते के साथ-साथ जांच का विषय है । सूत्रों की मामे तो खण्ड शिक्षा अधिकारी के आदेशों के बाद भी न्याय पंचायत समम्वयक नीमापुर का विधालय खुद नियत समय पर नहीं खुलता. यही नहीं मीमाधुर न्याय पंचायत के अधिकतर प्राथमिक विद्यालयों के प्रधानाध्यापक जो न्याय पंचायत समन्वयक के खासम खास है ये अपने मनमर्जी से विद्यालय आते है । फिलहाल खण्ड शिक्षा अधिकारी ने विद्यालयों में शिक्षकों की समय पर उपस्थित होमे की जांच पड़ताल की जिम्मेदारी खुद की बजाय म्याय पंचायत समन्चयकों को सौंप दिया, जिसे शासन द्वारा भले ही समाप्त कर दिया गया हो लेकिन मुंगरा बादशाहपुर विकास खण्ड में न्याय पंचायत समम्वयक वदस्तूर अपनी जिम्मेदारियों का का निर्वहन खंड शिक्षा अधिकारी के लिए कमाऊ पूत साबित करने में लगे हैं.
एक भी शिक्षक के विरुद्ध कोई शिकायत दर्ज नहीं हो सफी । आखिर क्यों ? पूरी तरह रहस्यमय बना है. | जबकि खण्ड शिक्षा अधिकारी ने स्यय॑ स्वीकार किया है कि मेरे संज्ञान में आया है कि शिक्षक समय पर विद्यालय नहीं आ रहें हैं । यदि देखा जाए तो न्याय पंचायत समन्ययक भी एक विद्यालय में नियुक्त हुए हैं जो शिक्षण कार्य करने की बजाय खण्ड शिक्षा अधिकारी की चमथागिरी करने में ही लगे रहते हैं | इतना ही महीं म्याय पंचायत समम्वयक खण्ड शिक्षा अधिकारी के लिए कमाऊ पूत बन गए हैं । जो लापरवाही बरतने वाले शिक्षकों पर खण्ड शिक्षा अधिकारी की गाज गिरामे से बचाव हेतु सेतु का दायित्व निमाने में पूरी तरह सक्रिय हैं | दो दिन पूर्व खण्ड शिक्षा अधिकारी जवाहर लाल यादव ने मुंगराबादशाहपुर के प्राथमिक शिक्षा के ग्रुप में एक मैसेज वायरल किया था कि सभी म्याय पंचायत समन्वयक अपने अपने न्याय पंचायत के विद्यालयों में प्रत्येक दिन 3 विद्यालयों का निरीक्षण 7 बजकर 45 मिमट से 8 बजकर 30 मिनट के बीच शिक्षकों की उपस्थिति पंजिका का निरीक्षण करें तथा अनुपस्थित शिक्षकों को उपस्थिति पंजिका पर अनुपस्थित कर उपस्थिति पंजिका की फोटो ग्रुप में प्रेषित करें जिससे अनुपस्थित पाए गए शिक्षकों के बारे में उच्चाधिकारियों के सूचित किया जा सके | अब सवाल उठता है कि जब खण्ड शिक्षा अधि कारी को यह पता है कि कुछ शिक्षक लगातार अनुपस्थित चल रहे हैं तो न्याय पंचायत समन्वयक को यह जिम्मेदारी देने की बजाय स्वयं निरीक्षण क्यों नहीं किया । लोगों की मानें तो यह जिम्मेदारी सभी प्रधानाध्यापकों को दे दिया गया होता की वह समय समय पर उपस्थित शिक्षकों की सेल्फी लेकर युप में पोस्ट करेंगे । लेकिन ऐसा नहीं हुआ | कारण की इसमें उमके चहेते शिक्षकों का फंसमा तय था जो विद्यालयों में उपस्थित रहने की बजाए महज खण्ड शिक्षा अधिकारी कार्यालय की परिक्रमा करते हैं । दूसरी बात यह कि जब शासन न्याय पंचायत समन्वयक का पद समाप्त कर दिया गया हैं तो किस प्रकार से खण्ड शिक्षा अधिकारी मुंगरा बादशाहपुर द्वारा उन्हें जिम्मेदारी दी जा रही है | यह शासनादेश के प्रतिकूल होते के साथ-साथ जांच का विषय है । सूत्रों की मामे तो खण्ड शिक्षा अधिकारी के आदेशों के बाद भी न्याय पंचायत समम्वयक नीमापुर का विधालय खुद नियत समय पर नहीं खुलता. यही नहीं मीमाधुर न्याय पंचायत के अधिकतर प्राथमिक विद्यालयों के प्रधानाध्यापक जो न्याय पंचायत समन्वयक के खासम खास है ये अपने मनमर्जी से विद्यालय आते है । फिलहाल खण्ड शिक्षा अधिकारी ने विद्यालयों में शिक्षकों की समय पर उपस्थित होमे की जांच पड़ताल की जिम्मेदारी खुद की बजाय म्याय पंचायत समन्चयकों को सौंप दिया, जिसे शासन द्वारा भले ही समाप्त कर दिया गया हो लेकिन मुंगरा बादशाहपुर विकास खण्ड में न्याय पंचायत समम्वयक वदस्तूर अपनी जिम्मेदारियों का का निर्वहन खंड शिक्षा अधिकारी के लिए कमाऊ पूत साबित करने में लगे हैं.