*जय बाला जी सरकार*🙏🚩
साथियों जैसा कि आप सभी जानते कि बहु प्रतीक्षित 69000 भर्ती केस के अंतिम निर्णय को सुरक्षित हुए लगभग 3 महीने बीत चुके है परंतु जज साहब की अनुपलब्धता की वजह से अभी तक सुनाया नही गया है और कब सुनाया जाएगा ये वास्तव में किसी को पता नही है। जब तक जज साहब सुचारू रूप से बैठना शुरू नही करेंगे तब तक आर्डर नही आएगा। *अब जज साहब क्यों नही बैठे और आर्डर लिखे जाने की क्या स्थिति है ये आप सब ग्रुपों पर विभिन्न महान आत्माओं द्वारा समय समय पर सुनते ही रहते होंगे। परंतु हम इस विषय में कुछ भी कहने से परहेज करेंगे क्योंकि हम जो बताएंगे वो तथ्यपूर्ण बताएंगे और सच बताएंगे। झूठ और मनगढ़ंत बोलकर सर्वश्रेष्ठ बनने की अपेक्षा हम सच और तथ्यपरक बताकर आप आदमी बनना ज्यादा पसंद करते हैं।* ✅
आगे आर्डर के संबंध में सभी के मन में ये शंकाएं बनी रहती हैं जैसे। *कि आर्डर क्या आएगा ,हमारा क्या होगा इत्यादि। इन सवालों के जवाव खोजने के लिए हमारी टीम के सभी साथियों ने अपना बेहतरीन देकर कुछ तथ्य जुटाए हैं और पूरे केस का एक खाका खींचकर आप सबसे साझा करने का एक प्रयास किया है* जो निम्न प्रकार से। इस पोस्ट मैं हमने साथियों की अधिकतर शंकाओं के समाधान की कोशिश की उम्मीद है सफल भी होंगे और आप सबका समर्थन भी हमें मिलेगा।🤝
_जैसा कि आप सभी जानते है कि इस केस की शुरुआत atre2 की परीक्षा के एकदिन बाद सरकार द्वारा जारी 7 जनवरी के शाश्नादेश से हुई जिसमें सरकार ने 1 दिसम्बर 2019 के शाश्नादेश से इतर 60-65% पासिंग मार्क लगा दिया। जिसको हमने माननीय सिंगल लखनऊ और इलाहाबाद में चुनौती दी। और काफी विस्तृत सुनवाई के बाद जज माननीय राजेश चौहान जी ने 29 मार्च को आदेश जारी किया।_✅
*29 मार्च आदेश एक विश्लेषण*
_जज माननीय राजेश चौहान जी ने अपने 29 मार्च को दिए आदेश में सरकार और बीएड बीटीसी अभ्यर्थियों के सभी तर्कों को खारिज करते हुए सरकार को atre1 के अनुसार ही 40-45 पर रिज़ल्ट्स निकालने के लिए आदेशित किया । जिसके पीछे उन्होंने माननीय उच्चचतम न्यायालय के कई आदेशों का हवाला देते हुए खेल के बीच मैं नियम न बदलने,137 को एक ही भर्ती मानते हुए और 25 जुलाई के आंनद कुमार यादव आर्डर के अनुसार art14 को भी आधार बनाया। जो की कहीं न कहीं क्वालिटी एजुकेशन को भी स्थापित करता था परंतु दूसरी तरफ बीएड अभ्यर्थियों के अभ्यर्थन पर शिक्षा मित्रों द्वारा उठाये गए सवालों को खारिज भी कर दिया_। 😊✅
परंतु उक्त आदेश का विरोध बीएड बीटीसी अभ्यर्थियों और सरकार ने डबल बैंच में किया जिसके फलस्वरूप 6 मई के पारित आदेश में सिंगल बैंच के आदेश को निरस्त कर दिया गया।😓
*डबल बैंच का 6 मई का निर्णय एक विश्लेषण*
_डबल बैंच ने सरकार और बीएड बीटीसी अभ्यर्थियों के तर्कों को स्वीकारते हुए mcd अदेश्वके आधार पर सिंगल बैंच के निर्णय को निरस्त तो कर दिया परंतु बीएड के अभ्यर्थन पर कोई टिप्पणी नही। और जिस प्रकार सिंगल बैंच निर्णय में निर्णय का आधार बने सभी बिंदुओं, कानूनों,तथ्यों का विस्तारपूर्वक वर्णन किया गया था ऐसा की वर्णन डबल बैंच के आदेश में देखने को नहीं मिला। अब क्यों नही मिला ये तो भगवान ही बता सकते हैं। यहां हमारे वकीलों द्वारा एक गलती ये भी हुई कि इन्होंने अपने को सही साबित करने से ज्यादा प्रमुखता बीएड को गलत साबित करने को दी। जिसकी वजह जो समय हमें खुद को सही साबित करने को मिला वो बर्बाद हो गया। और बिना मतलब की बहस सुन सुनकर ऊब चुके जज ने हमारी मतलब की बात भी अनसुनी कर दी। यहां तक कि बीएड विरोधी तर्कों को सुप्रीम कोर्ट ने भी नही सुना। क्योंकि जब आपकी सीटें सुरक्षित रखीं है तो बाकी पंचायत का क्या मतलब।✅
*नोट:- यहां ध्यान देने योग्य बात ये भी है कि दोनों ही जगह पिटीशनर के तर्कों को प्रमुखता दी गयी है और रेस्पोंडेंट के तर्कों को सुनकर भी अनसुना किया गया है।*
बाद में डबल बैंच के आदेश को माननीय उच्चचतम न्यायालय में हम लोगो द्वारा(शिक्षा मित्रों) चुनौती दी गयी। जिसकी सुनवाई करते हुए 21 मई,9 जून को पारित दो अंतरिम आदेशों के बाद 24 जुलाई को फैंसला सुरक्षित कर दिया गया। ✅🤞
*21 मई और 9 जून के आदेश :- एक विश्लेषण*
हम लोगों द्वारा डबल बैंच के आदेश को चुनौती देती याचिकाओं की सुनवाई करते हुए माननीय जज महोदयों ने atre 2 में सम्मिलित शिक्षा मित्रों के पदों के अतिरिक्त पदों पर भर्ती करने और परीक्षा में सम्मिलित शिक्षा मित्रों,कुल शिक्षा मित्रों ,जातिवार शिक्षा मित्रों की संख्या और विवरण ,60-65 पर,40-45 पर पास शिक्षा मित्रों की संख्या विवरण सहित कोर्ट को उपलब्ध कराने का आदेश पारित किया गया। परंतु उक्त आदेश की अस्पष्टताओं को देखते हुए हम लोगों द्वारा दाखिल क्लेरिफिकेशन पर सुनवाई करते हुए कोर्ट के बिल्कुल स्पष्ट रूप से शिक्षा मित्रों की संख्या के समतुल्य 37339 को छोड़कर शेष 31661 पदों पर भर्ती करने का एक स्पष्ट आदेश पारित कर दिया।और बाद में उक्त आदेश के विरुध्द सरकार द्वारा दाखिल मॉडिफिकेशन को माननीय कोर्ट द्वारा संज्ञान नही लिया गया और नियमित सुनवाई करते बीएड या बीटीसी वालों के वकीलों को न केबराबर सुनकर और सरकारी वकील को अपने सवालों से निरुत्तर करते हुए 24 जुलाई को आदेश रिजर्व कर दिया गया। 😊
*निष्कर्ष:- _ऊपर सब पढ़कर अब सभी साथियों से पूछना है कि पूरे केस में याचिकाकर्ताओं को ही महत्व देना, प्रतिपक्षियों को सुनकर अनसुना करना,शिक्षामित्रों की संख्या के बराबर सीटों सुरक्षित रखना,शिक्षा मित्रों का डाटा मांगना,सरकार द्वारा 9 जून के आदेश के लगभग तीन महीने इंतजार के बाद आनन फानन गलत शलत तरीके से भर्ती करना,सुनवाई में जज द्वारा 31661 भर्ती टिप्पणी करना आपकी नजर में क्या कहानी कहता है।_ *क्योंकि हमारी सोच के अनुसार तो सरकार ने आने वाले आदेश से बिल्कुल ही नाउम्मीद होकर ये आधी भर्ती की होगी अन्यथा तो जैसे तीन महीने इंतजार किया वैसे ही 15 दिन और भी इंतजार कर सकते थे। पर सरकार ने भागते भूत की लंगोटी को ही प्राथमिकता दी है। अब कुछ लोग 31661 पर माननीय उच्चचतम न्यायालय द्वारा रोक न लगाने को हमारे विपरीत आदेश की संभावना से जोड़ते हैं उनसे पूछना है कि जब हमारे पदों के समतुल्य बल्कि ज्यादा सीटें सुरक्षित ही हैं तो हमारा कौन सा दावा बनता है शेष सीटों पर । और रही बीएड बीटीसी द्वारा 31661 पर रोक लगाने की बात तो भाई आप ही तो योग्यता के ध्वजवाहक हो आपने 69000 योग्य माने कोर्ट ने 31661 योग्यतम मानकर नियुक्त करवा दिया तो दर्द कैसा।*❓
*टीम सत्यव्रत पांडेय*🙏🙋♂️
*हमारा सच ही हमारी पहचान है*😊