UPPSC: बाहरी अभ्यर्थियों का सिर्फ पांच फीसदी तय हो कोटा

 प्रयागराज। पीसीएस-2018 में स्केलिंग लागू हुई या नहीं, यह सवाल जल्द ही एक बड़े आंदोलन में परिवर्तित हो सकता है। उत्तर प्रदेश प्रतियोगी छात्र मंच के बैनर तले बड़ी संख्या में छात्र 20 अक्तूबर को सुबह 11 बजे उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग में धरना-प्रदर्शन करने जा रहे हैं।

स्केलिंग और कई अन्य महत्वपूर्ण मुद्दों के साथ इस आंदोलन को आगे बढ़ाया जाएगा। आंदोलन को सफल बनाने के लिए प्रतियोगी छात्रों ने जनसंपर्क अभियान भी शुरू कर दिया है।



अभ्यर्थी यह मांग भी कर रहे हैं कि अन्य राज्यों के अभ्यर्थियों के लिए राज्य चयन में सिर्फ पांच फीसदी कोटा तय किया जाए, ताकि यूपी के अभ्यर्थियों के लिए चयन के अवसर बढ़ें और पीसीएस-20198 जैसी स्थिति दोबारा न हो।
अभ्यर्थियों की यह मांग भी है कि पीसीएस-2018 में स्केलिंग पर आयोग लिखित रूप से स्थित स्पष्ट करे। अगर स्केलिंग नहीं हुई है तो परिणाम को संशोधित करें। इसके साथ मुख्य परीक्षा के लिए पदों की संख्या के मुकाबला 18 गुना और इंटरव्यू के लिए तीन गुना अभ्यर्थियों को क्वालीफाई कराया जाए। पीसीएस, आरओ/एआरओ, बीईओ एवं अन्य परीक्षाओं के अंतिम परिणाम के साथ वेटिंग लिस्ट भी जारी किए जाने की मांग हो रही है।

अभ्यर्थियों की अन्य मांगें हैं कि मूल्यांकन/अनुवाद में हिंदी माध्यम अभ्यर्थियों के साथ भेदभाव खत्म हो, पीसीएस मुख्य परीक्षा में रक्षा अध्ययन एवं सयमाज कार्य विषय को पुन: शामिल किया जाए, पीसीएस-2018 से पैटर्न में हुए बदलाव से प्रभावित अभ्यर्थियों को दो अतिरिक्त अवसर मिले, महिलाओं के 20 फीसदी कोटे को केवल यूपी की महिलाओं के लिए सुनिश्चित किया जाए, लोअर पीसीएस की भर्तियां यूपीपीएससी में हों, निगेटिव मार्किंग एक चौथाई रखी जाए और एक भर्ती पूरी होने पर अंक पत्र तुरंत जारी हो, ताकि अगली मुख्य परीक्षा में विषय चयन में आसानी हो।
उत्तर प्रदेश प्रतियोगी छात्रसंघ के अध्यक्ष संदीप सिंह का आरोप है कि आयोग के गलत फैसलों के कारण प्रतियोगी छात्रों को बड़ा नुकसान हुआ है और इसी वजह से छात्र अब आंदोलन के लिए मजबूर हैं।