प्रदेश के सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों में प्रशिक्षित स्नातक (टीजीटी) और प्रवक्ता (पीजीटी) भर्ती 2020 में कला विषय के शिक्षकों की अर्हता में संशोधन की मांग को लेकर अभ्यर्थियों ने सोमवार को माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड के बाहर प्रदर्शन किया।
अभ्यर्थियों का कहना है कि 2020 के विज्ञापन में कला शिक्षक के लिए जो अर्हता तय की गई है उसमें फाइन आर्ट्स डिग्रीधारकों को पूरी तरह से दरकिनार कर दिया गया है जबकि कला के क्षेत्र में यह देश व दुनिया की सबसे बड़ी डिग्री है। फाइन आर्ट्स की पढ़ाई भारत के कुछ चुनिंदा उच्च शिक्षण संस्थानों काशी हिंदू विश्वविद्यालय, इलाहाबाद विश्वविद्यालय, शांतिनिकेतन, लखनऊ विवि, कोलकाता विवि, बड़ौदा विवि, गोरखपुर विवि, सर जेजे स्कूल ऑफ़ आर्ट्स आदि में कराई जाती है। यह बहुत चिंताजनक बात है कि चयन बोर्ड ने अपने अर्हता कॉलम में इसका जिक्र तक नहीं किया है। इसमें कला अध्यापन के लिए जो अर्हता तय की गई है वह हास्यापद है। इसमें अभ्यर्थी इंटर प्राविधिक कला के साथ किसी भी विषय से स्नातक व परास्नातक हो तो वह योग्य है।
चयन बोर्ड 1921 के नियमों का पालन कर रहा है जबकि 100 वर्षों में कितना कुछ बदल चुका है। इस विज्ञापन में पाकिस्तान के मेयो स्कूल ऑफ आर्ट्स लाहौर के भी सर्टिफिकेट को मान्य किया गया है लेकिन फाइन आर्ट का कहीं कोई नामोनिशान नहीं है। अभ्यर्थियों ने कहा कि भर्ती में आवश्यक संशोधन नहीं किया गया तो ये भूख हड़ताल करने के साथ कोर्ट भी जाएंगे।