परिषदीय विद्यालयों के लिए 69000 सहायक अध्यापक भर्ती में प्रदेश सरकार की ओर से 31277 अभ्यर्थियों को सरकार ने नौकरी तो दे दी परंतु मेरिट तैयार करने में गड़बड़ी के चलते बड़ी संख्या में अधिक मेरिट वालों को
नौकरी नहीं मिल पाई। उनसे कम अंक वाले मेरिट में जगह बनाने के साथ नियुक्ति पत्र लेकर विद्यालयों में पदस्थापित हो गए। मेरिट की गड़बड़ी के शिकार अभ्यर्थियों ने दीपावली नहीं मनाकर अपना विरोध जताया।सोशल मीडिया पर अपना विरोध जताते हुए इन अभ्यर्थियों ने कहा कि जहां कम अंक वाले नौकरी पा गए, वहीं अधिक अंक के बाद भी वह दीपावली पर अपने घरों में ही उपेक्षित रहे। सोशल मीडिया पर लिखा है कि अब तो परिवार वालों को विश्वास भी उनसे उठता दिखाई पड़ रहा है। विरोध करने वालों में रोहित तिवारी, उमेश दुबे,डॉली मिश्रा, राहुल सिंह सहित बड़ी संख्या में अभ्यर्थी शामिल हैं।
इन अभ्यर्थियों का कहना है कि अब जब सरकार ने कोर्ट में गलती स्वीकार कर ली है तो उसे तत्काल गलती सुधारते हुए 31277 में खाली पदों के सापेक्ष अधिक मेरिट वालों को नियुक्ति पत्र देकर न्याय करना चाहिए। 31277 भर्ती के सापेक्ष मात्र 28230 पदों पर ही अंतिम रूप से नियुक्ति पत्र जारी हुआ है, ऐसे में खाली 3047 पदों पर अधिक मेरिट वालों को नियुक्ति देकर गलती सुधारी जा सकती है।
शिक्षक भर्ती से बाहर हुए अभ्यर्थियों का कहना है कि 2018 में आई 68500 सहायक अध्यापक भर्ती में जिस प्रकार से कापियों के मूल्यांकन में गड़बड़ी कर बड़े पैमाने पर अच्छे अंक पाने वाले अभ्यर्थियों को बाहर कर दिया गया जबकि कम नंबर पाने वालों को नौकरी दे दी गई। नौकरी से बाहर होने वालों की याचिका पर जब कॉपी हाईकोर्ट में मंगाई गई तो पूरी भर्ती में बड़े पैमाने पर अनियमितता सामने आई।
मूूल्यांकन की गड़बड़ी पता चलने के बाद जब अभ्यर्थियों ने कोर्ट के आदेश से पुनर्मूल्यांकन करवाया। पुनर्मूल्यांकन के बाद पांच हजार से अधिक अभ्यर्थी नौकरी पा चुके हैं। पूरी शिक्षक भर्ती गड़बड़ी की भेंट चढ़ गई थी। इस पूरे मामले में जांच के बाद तत्कालीन सचिव परीक्षानयामक प्राधिकारी डॉ. सुत्ता सिंह एवं रजिस्ट्रार जीवेश नंदन ऐरी निलंबित किए गए थे। जो अब बहाल होकर महत्वपूर्ण पद पर कायम हैं परंतु शिक्षक भर्ती के अभ्यर्थी आज भी नियुक्ति के लिए कोर्ट का चक्कर लगा रहे हैं।