विश्वविद्यालय व डिग्री कॉलेजों में रिसर्च को बढ़ावा देने के लिए रिसर्च एंड डेवलपमेंट योजना शुरू की जा रही है। इस योजना के जरिये मेजर रिसर्च प्रोजेक्ट (वृहद शोध परियोजना) के लिए शिक्षकों को 15 लाख और
माइनर रिसर्च प्रोजेक्ट (लघु शोध परियोजना) के लिए पांच लाख रुपये उच्च शिक्षा विभाग द्वारा दिए जाएंगे। दोनों ही रिसर्च प्रोजेक्ट को तीन वर्ष में पूरा करना होगा। इसमें भारतीय संस्कृति एवं विरासत, स्वास्थ्य व पर्यावरण जैसे विषयों पर शोध को प्राथमिकता दी जाएगी।राज्य विश्वविद्यालयों, राजकीय डिग्री कॉलेजों व एडेड डिग्री कॉलेजों के स्थायी शिक्षक ही इस योजना के तहत आवेदन करने के पात्र होंगे। सेल्फ फाइनेंस कोर्स के शिक्षक आवेदन के पात्र नहीं होंगे। वृहद शोध परियोजना के तहत 15 लाख रुपये का प्रोजेक्ट उन शिक्षकों को दिया जाएगा, जिन्होंने पहले कम से कम दो मेजर रिसर्च प्रोजेक्ट हासिल किए हों, 15 वर्ष से शोध करा रहे हों और कम से कम 20 रिसर्च पेपर विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) द्वारा प्रमाणित किए गए रिसर्च जर्नल में प्रकाशित हुए हों। वहीं माइनर रिसर्च प्रोजेक्ट के लिए शिक्षक के पास कम से कम 10 साल का शोध कराने का अनुभव होना चाहिए।
प्रत्येक रिसर्च प्रोजेक्ट में एक प्रमुख शोधकर्ता व दूसरा सह प्रमुख शोधकर्ता होगा। उच्च शिक्षा विभाग 33.3 प्रतिशत रिसर्च प्रोजेक्ट साइंस, 33.3 प्रतिशत रिसर्च प्रोजेक्ट कॉमर्स व मैनेजमेंट और बाकी रिसर्च प्रोजेक्ट अन्य विषयों के लिए देगी। कोशिश की जाएगी कि जितने भी रिसर्च प्रोजेक्ट दिए जाएं, उनमें 50 प्रतिशत विश्वविद्यालय व 50 प्रतिशत कॉलेजों को मिलें। उच्च शिक्षा विभाग के विशेष सचिव योगेंद्र दत्त त्रिपाठी के मुताबिक कॉलेज शिक्षकों का तबादला यदि दूसरे कॉलेज में होता है तो यह रिसर्च प्रोजेक्ट वहां स्थानांतरित कर दिया जाएगा।
उप्र राज्य उच्च शिक्षा परिषद के अनुमोदन के बाद प्रस्ताव विशेषज्ञ कमेटी के पास भेजा जाएगा। विशेषज्ञ कमेटी का अध्यक्ष उच्च शिक्षा विभाग के विशेष सचिव को बनाया गया है। इसमें साइंस, कॉमर्स व मैनेजमेंट के दो-दो विशेषज्ञ शामिल होंगे। वहीं अनुश्रवण के लिए विश्वविद्यालय की संबंधित फैकल्टी के डीन व डिग्री कॉलेजों में प्राचार्यों की अध्यक्षता में अनुश्रवण कमेटी बनेगी। कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर ही रिसर्च प्रोजेक्ट की धनराशि दी जाएगी।