नई दिल्ली: नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर ठीक तरीके से अमल हुआ तो शिक्षण पेशे की प्रतिष्ठा बहाल हो जाएगी। फिलहाल राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (एनसीटीई) ने इसकी तैयारी कर ली है।
इसकी शुरुआत मानक पूरा नहीं करने वाले बीएड कालेजों पर तालाबंदी से होगी। हालांकि पहले वह ऐसे सभी संस्थानों को एक साल का समय देगी जिसमें वे अपनी गुणवत्ता ठीक कर सकते हैं। इसके बाद भी यदि संस्थानों ने अपने रवैये में बदलाव नहीं किया तो उन्हें बंद कर दिया जाएगा।एनसीटीई ने इसके साथ ही राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अमल में अध्यापक शिक्षा से जुड़े पुराने पाठ्यक्रम को बदल दिया है जो नीति में प्रस्तावित चार वर्षीय बीएड कोर्स के अनुकूल होगा। इसमें व्यवसायिक शिक्षा, इंटरनेट शिक्षा सहित शिक्षकों की विषयवार विशेषज्ञता आदि शामिल होगी। इसके साथ ही अध्यापक शिक्षा से जुड़े पाठ्यक्रम की प्रत्येक पांच साल में एक बार समीक्षा होगी। इसमें जिस भी सुधार की जरूरत महसूस होगी, उसे नए सिरे से शामिल किया जाएगा। एनसीटीई ने नए पाठ्यक्रम के आधार पर चार वर्षीय बीएड कोर्स शुरू करने की भी पूरी योजना बना ली है। हालांकि शिक्षा मंत्रलय ने अभी इसे सिर्फ 25 सरकारी संस्थानों में ही शुरू करने की अनुमति दी है। इसके अच्छे परिणाम मिलने पर मांग के आधार पर इसे दूसरे संस्थानों में शुरू करने की अनुमति दी जाएगी।
अध्यापक शिक्षा को लेकर शिक्षा मंत्रलय का रुख भी काफी सख्त है। खासकर सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर गठित जस्टिस जेएस वर्मा आयोग ने वर्ष 2012 में बीएड संस्थानों को लेकर जो तथ्य सामने रखे थे, इसके चलते शिक्षण पेशे पर लगे दाग को वह धोना चाहता है। आयोग ने बीएड संस्थानों द्वारा डिग्रियां बेचे जाने की बात कही थी।