एक मिनट लेट हो तो निलम्बन, यहां तो महीनों से लटके:- ऑनलाइन व्यवस्था होने पर भी शिक्षकों का हो रहा मानसिक शोषण ,अधिकारियों ने नहीं सुना अब नेताओं के दरवाजे दे रहे दस्तक
फर्रुखाबाद:- परिषदीय शिक्षक अगर एक मिनट भी विद्यालय पहुंचने में लेट हो जाता है तो अधिकारी उसका निलम्बन या वेतन रोकने में एक मिनट का भी समय नहीं लगाते है। जबकि उनकी सुविधा को लेकर लेट लतीफी की सभी हदें पार कर दी है। ऑनलाइन-ऑनलाइन रटने वाले अधिकारी एक वर्ष से अधिक समय बीत जाने के बाद भी शिक्षक-शिक्षिकाओं का अन्जनपदीय स्थानान्तरण नहीं कर पाये है। यह तब है जब न्यायालय और मुख्यमंत्री आदेश दे चुके है। अधिकारियों ने गुहार नहीं सुनी तो शिक्षक-शिक्षिकाएं सत्ताधारी नेताओं की मुखातिब हुए है। वे यह भी कहने लगे है कि आखिर उन्हें किस कारण से परेशान किया जा रहा है।
उल्लेखनीय है कि कोविड-19 से पहले ही अन्तरजनपदीय व पारस्परिक स्थानान्तरण की प्रक्रिया शुरु हो गई थी सभी से ऑनलाइन आवेदन मांगे गये थे। निर्धारित समय में ही शिक्षक-शिक्षिकाओं ने आवेदन किये थे पारस्परिक स्थानान्तरण की भी व्यवस्था लागू की गई थी। पारस्परिक में स्थानान्तरण करने से किसी भी व्यवस्था में परख नहीं पड़ रहा था। लॉकडाउन लगने के बाद प्रक्रिया रोक दी गई थी। लेकिन तीन माह बाद ही वर्ष 2020 में प्रक्रिया पुनः प्रारम्भ की गई। बार-बार तारीख पर तारीख देने के कारण कुछ याचीकर्ताओं ने न्यायालय की शरण ली। न्यायिक प्रक्रिया में लगभग दो माह का समय लगा। इसके बाद बीच सत्र में स्थानान्तरण करने के लिए न्यायालय से अनुमति मांगी गयी जो मिल गई। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी शीघ्र प्रक्रिया पूर्ण करने के निर्देश दिये। न्यायालय और मुख्यमंत्री के आदेशों को धता बताते हुए बेसिक शिक्षा परिषद के अधिकारियों ने शिक्षकों को परेशान करना जारी रखा। ट्यूटर व सोशल मीडिया में अभियान चलाने के बाद करीब 21 हजार शिक्षक-शिक्षिकाओं की सूची जारी कर दी। लेकिन रिलीविंग आदेश नहीं किया। वहीं पारस्परिक स्थानान्तरण को लेकर चुप्पी साध ली। परिषद की ओर से रोज नये नियमों की घोषणा करने में माहिर अधिकारियों को शिक्षक शिक्षिकाओं को परेशान करने में शायद मजा आ रहा है। उन्हें न्यायालय और मुख्यमंत्री की भी परवाह नहीं है। शिक्षक अधिकारियों के चक्कर लगा-लगा कर थक गये है। वे सार्वजनिक रुप से कहने लगे है कि अगर विद्यालय जाने में एक मिनट का भी बिलम्ब हो जाता है तो अधिकारी वे हिचक उन्हें निलम्बित कर देते हैं जबकि एक वर्ष से अधिक समय बीत जाने के बाद प्रक्रिया पूरी न करने का कौन दोषी है। ऑनलाइन-ऑनलाइन खेलने वाले अधिकारी अभी तक ऑनलाइन स्थानान्तरण नहीं कर पाये है। स्थानान्तरण नहीं करना है तो सीधे मना कर दो बगैर किसी कारण से परेशान करने से परिवार की भी मानसिक स्थिति ठीक नहीं है। शिक्षक स्थानीय विधायकों व सांसद के दरवाजे-दरवाजे दस्तक देने लगे हैं। शिक्षकों ने जनप्रतिनिधियों से साफ कहा कि इस सरकार में उनका जितना शोषण हुआ है शायद ही कभी पहले हुआ हो।