नई दिल्ली. दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली सरकार के आग्रह के बावजूद 12,165 शिक्षकों की भर्ती न करने पर पर अधीनस्थ सेवा चयन बोर्ड यानी डीएसएसएसबी (DSSSB) से 25 मार्च तक जवाब मांगा है. कोर्ट ने डीएसएसएसबी अध्यक्ष से सफाई देने को कहा है. जस्टिस नज्मी वजीरी ने यह जवाब उस याचिका पर सुनवाई करते हुए मांगा है जिसमें कहा गया है कि सरकार के आग्रह करने के बावजूद डीएसएसबी ने कई पदों पर भर्ती शुरू नहीं की. सरकार ने इसमें से 11,139 पदों को भरने का आग्रह पत्र मार्च 2020 को ही बोर्ड को भेज दिए थे. जबकि 926 पदों के लिए आग्रह जनवरी 2021 में किया गया था.
हाई कोर्ट ने सुनवाई के दौरान डीएसएसएसबी से भर्ती विज्ञापन जारी करने की तिथि भी बताने को कहा है. इस याचिका में डीएसएसएसबी को शिक्षकों की बहाली के लिए तत्काल विज्ञापन जारी करने का आदेश देने की मांग की गई है. यह याचिका गैर सरकारी संगठन सोशल ज्यूरिस्ट की ओर से दाखिल की गई है. संगठन का पक्ष न्यायालय में अधिवक्ता अशोक अग्रवाल रख रहे हैं.
दिल्ली सरकार भी तलब
हाईकोर्ट ने दिल्ली सरकार से भी इस बात का जवाब मांगा है कि वह अपने स्कूलों में प्राचार्यों के खाली पदों को क्यों नहीं भर रही है. कोर्ट ने सुनवाई के दौारान कहा कि दिल्ली सरकार के स्कूलों में प्राचार्य के 77% पद खाली हैं. यह चिंताजनक है. कोर्ट ने यह आदेश तब दिया जब अधिवक्ता अशोक अग्रवाल ने बताया कि दिल्ली सरकार के स्कूलों में प्राचार्य के कुल 745 पद स्वीकृत हैं. जिसमें से सिर्फ 215 प्राचार्य अभी स्कूल में हैं.
दिल्ली में शिक्षकों के 40 हजार पद खाली
याचिका में कहा गया है कि वर्ष 2001 में उच्च न्यायालय ने सरकार और नगर निगम के स्कूलों में शिक्षकों के खाली पदों को भरने का निर्देश दिया था. 20 साल पुराने फैसले के हिसाब से हर साल अप्रैल में सरकार और नगर निगम के स्कूलों में रिक्त पदों की संख्या शून्य होनी चाहिए. मौजूदा समय में सरकारी स्कूलों में शिक्षकों के 35 हजार और नगर निगम के स्कूलों में पांच हजार पद खाली हैं. इसके चलते 23 लाख बच्चों की शिक्षा प्रभावित हो रही है.