अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) को मिलने वाले आरक्षण का लाभ इसमें शामिल सभी जातियों तक समान रूप से पहुंचाने के लिए सरकार भले ही पूरी तरह से तैयार है, लेकिन इसके फामरूले पर बात कहीं न कहीं अटक रही है। इस काम में जुटे जस्टिस रोहिणी कमीशन की नजर देश के उन ग्यारह राज्यों पर टिकी है, जहां इसे अमल में लाया गया है। इनमें फिलहाल आंध्र प्रदेश सबसे अहम राज्य है, जिसने ओबीसी आरक्षण के वर्गीकरण को काफी वैज्ञानिक तरीके के अंजाम देते हुए इसे पांच श्रेणियों में बांटा है। खास बात यह है कि रोहिणी कमीशन भी ऐसे ही फामरूले के साथ तेजी से आगे बढ़ रहा है।
कमीशन से जुड़े अधिकारियों की मानें तो अभी वे किसी फामरूले पर नहीं पहुंचे हैं। लेकिन आंध्र प्रदेश ने इसके लिए जो पैटर्न अपनाया था, कमीशन भी उसी आधार पर काम कर रहा है। इनमें उच्च शिक्षण संस्थानों में प्रवेश सहित सरकारी नौकरियों में ओबीसी से जुड़ी जातियों की भागीदारी का ब्योरा जुटाया गया है। परेशानी यह है कि आंध्र प्रदेश में लगभग 150 ओबीसी जातियां हैं। जबकि राष्ट्रीय स्तर पर ओबीसी की करीब 2600 जातियां हैं। फिलहाल ओबीसी को मिलने वाला आरक्षण करीब छह सौ जातियों में ही बंट जाता है। इनमें भी करीब सौ जातियां तो ऐसी हैं, जिनकी आरक्षण में हिस्सेदारी आधी से ज्यादा रहती है। वहीं करीब एक हजार से ज्यादा ऐसी ओबीसी जातियां भी हैं, जिन्हें अब तक आरक्षण का कोई लाभ नहीं मिला है।
सरकार ओबीसी आरक्षण के उप-वर्गीकरण के जरिए इसी खाई को पाटना चाहती है। हालांकि यह काम जितना आसान दिख रहा है, उतना है नहीं। राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग के वरिष्ठ सदस्य कौशलेंद्र सिंह पटेल के मुताबिक वह ओबीसी आरक्षण के उप-वर्गीकरण के पक्षधर हैं।
आंध्र प्रदेश में ओबीसी की करीब डेढ़ सौ जातियां
आंध्र प्रदेश में ओबीसी की करीब डेढ़ सौ जातियां हैं। इनमें करीब सौ जातियां केंद्रीय सूची में शामिल हैं। ऐसे में ओबीसी में शामिल राज्य की सभी जातियों को उनकी भागीदारी और अनुमानित संख्या के आधार पर पांच श्रेणियों में बांटा गया है। पांचों श्रेणियों को क्रमश: सात, दस, एक, सात और चार फीसद आरक्षण तय किया है।