कोरोना की वजह से बीएड अभ्यर्थियों की इंटर्नशिप तक नहीं हो पाई। ऐसे में उनकी डिग्रियां फंस कर रह गई हैं। बीएड के दौरान दो महीने की इंटर्नशिप से अभ्यर्थियों को वास्तविक रूप से शिक्षक बनने का मौका मिलता है वहीं यह प्रक्रिया डिग्री के पूरा होने के लिए असल जरुरत हुआ करती है।
जिले में 42 महाविद्यालयों में से दर्जन भर से अधिक महाविद्यालयों में
बीएड की कक्षाएं चलती है। इनमें दो हजार सीटें जिले में बीएड की हैं। वहीं पर बीटीसी की भी 500 सीटें जिले में हैं। इन सभी को पढ़ाई के दौरान ही कक्षा एक से 8 तक के सरकारी स्कूलों में इंटर्नशिप करने का मौका दिया जाता है। ये लोग बच्चों को पढ़ाने जाते हैं जिन्हें वहां पर तैनात प्रधानाध्यापक व सहायक अध्यापकों से शिक्षण से जुड़े टिप्स लेते हैं और सीखते हैं। इस पूरी प्रक्रिया को माइक्रोटीचिंग के रूप में जाना जाता है।
स्कूल बंदी से नहीं मिल रहा प्रतिभाओं को निखरने का मौका स्कूल बंदी के कारण छात्रों के सामने भी संकट खड़े हो गए हैं। बच्चों में अनुशासन व शिक्षण अभिरुचि बढ़ाने का जरुरी कार्य करने वाली स्कूलिंग की प्रक्रिया दूर हो चली है। ऐसे में बच्चे भी हैरान हो रहे हैं। उनके विषयवार पाठ्यक्रम पूरे नहीं हो पा रहे हैं। कोरोना के खतरों के बीच उपजी परिस्थिति का चेहरा जितना दिखाई पड़ रहा है उससे भी भयावह बना हुआ है। बीएड कर रहे अनुज प्रकाश, प्रतिभा ने अपनी दिक्कतें बताई।
बिना इंटर्नशिप शिक्षक बनने का सपना पूरा नहीं होगा
माइक्रोटीचिंग पूरी नहीं कर पाने की वजह से ऐसे सभी अभ्यर्थियों के सामने बड़ी मुसीबत आ खड़ी हुई है। ऐसे लोग अभी तक शिक्षक बनने के सपने तक पूरे नहीं कर सके हैं और फिर वे अभी तक बेरोजगारी से लड़ते फिर रहे हैं।
बीएड पूरा होता तो अधिक मिलता पढ़ाने का मेहनताना
गैर प्रशिक्षित शिक्षकों का मानदेय वेतन बेहद मामूली रह जा रहा है। प्राइवेट स्कूलों में गैर प्रशिक्षित इन शिक्षक शिक्षिकाओं को तीन हजार से लेकर 3 हजार रुपये प्रतिमाह का मानदेय दिया जा रहा है। जबकि वहीं पर बीएड कर लेने वाले शिक्षकों को दस हजार तक मानदेय तो मिलता ही है। टीईटी पास कर लेने के बाद इन प्रशिक्षित स्नातकों को नौकरी के साथ बेहतर मानदेय के आफर तक आते हैं।