कोर्ट ने कहा कि अध्यापकों की सेवानिवृत्ति आयु 62 से बढ़ाकर 65 वर्ष करने का केंद्र सरकार का 31दिसंबर 2008 को जारी आदेश राज्य सरकार पर बाध्यकारी है। विश्वविद्यालयों के स्टैच्यूट में बदलाव न करना अनुच्छेद 14 व अनुच्छेद 19 (1) जी का उल्लंघन है, विभेदकारी व मनमाना पूर्ण है। केंद्र सरकार से वेतनमान निर्धारण के मद में राज्य सरकार ने 80 प्रतिशत अनुदान ले लिया परंतु प्रदेश के विश्वविद्यालयों के स्टेच्यूट में बदलाव नहीं किया। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने भी 30अक्टूबर 2010 को सर्कुलर जारी किया है, जिस पर अमल नहीं किया गया है।
याची को निदेशक प्रशासन एवं मानिटरिंग सरदार वल्लभ भाई पटेल कृषि एवं तकनीकी विश्वविद्यालय मोदीपुरम, मेरठ ने छह दिसंबर 2021को सूचित किया कि वह 62 साल की आयु में 30 अप्रैल 2022को सेवानिवृत्त हो जाएगा। याची ने आयु सीमा बढ़ाने के लिए सरकार को परिनियमावली में बदलाव के लिए प्रत्यावेदन दिया। कहा कि उत्तराखंड सरकार ने बदलाव कर सेवानिवृत्ति आयु 65 वर्ष कर दी है, इसलिए उप्र में भी ऐसा किया जाए। सरकार की तरफ से कहा गया कि याची को सेवानिवृत्ति आयु बढ़ाने की मांग का अधिकार नहीं है और उत्तराखंड राज्य का फैसला उ प्र मे लागू नहीं होगा। याची ने कहा कि शिक्षा मानक व शतर्ें तय करने का अधिकार केंद्र सरकार को है।