राज्य सरकार प्रदेश भर में दो दर्जन से अधिक राजकीय संस्कृत इंटर कालेज खोलने जा रही है। इस कार्य को दो चरणों में पूरा किया जाएगा। बाद में अगर भूमि उपलब्ध होगी तो तीसरे चरण में और भी राजकीय संस्कृत इंटर कालेज की स्थापना की जाएगी। फिलहाल इस समय प्रदेश में मात्र दो ही राजकीय संस्कृत इंटर कालेज हैं। एक भदोही तो दूसरा चन्दौली जिले में। शेष एडेड एवं प्राइवेट संस्कृत इंटर कालेज हैं।
नए राजकीय संस्कृत इंटर कॉलेजों की स्थापना के लिए माध्यमिक शिक्षा निदेशक की ओर से सभी जिला विद्यालय निरीक्षकों (डीआईओएस) को पत्र लिख कर जमीन चिन्हित करके प्रस्ताव भेजने के निर्देश दिए गए हैं। वर्ष 2000 से पहले सभी संस्कृत इंटर कालेज वाराणसी स्थित संपूर्णानंद विश्वविद्यालय से संबद्ध थे। वर्ष 2000 में संस्कृत शिक्षा बोर्ड गठित होने के बाद सभी उस बोर्ड से सम्बद्ध हो गए। हालांकि इससे विद्यालयों की हालत कोई सुधार नहीं आ सका और वे दिन प्रति-दिन बद्तर स्थिति में जाते चले गए।
अब मुख्यमंत्री द्वारा इस दिशा में विशेष ध्यान देने के बाद संस्कृत विद्यालयों को बेहतर करने और उन्हें मुख्य धारा से जोड़ने की दिशा में कार्य शुरू किया गया है। मुख्यमंत्री ने समीक्षा बैठक के दौरान संस्कृत शिक्षा बोर्ड और विद्यालयों की दुर्दशा को गम्भीरता से लेते हुए बोर्ड के नए भवन के साथ-साथ विद्यालयों की दशा सुधारने के निर्देश दिए हैं। सरकार के इस फैसले से विद्यार्थियों को काफी राहत मिलेगी।
शासन ने मांगा नए स्कूल का प्रस्ताव
माध्यमिक शिक्षा निदेशक डा. महेन्द्र देव की ओर से प्रदेश भर के डीआईओएस को भेजे एक सर्कुलर में कहा गया है कि कई राजकीय इंटर कॉलेजों के पास काफी जमीनें है। उस अतिरिक्त भूमि पर पृथक से राजकीय संस्कृत इंटर कालेज खोले जाने की योजना है। सरकार ने इस संबंध में विस्तृत प्रस्ताव मांगा है। माध्यमिक शिक्षा निदेशालय को एक दर्जन से अधिक प्रस्ताव अब तक प्राप्त हो चुके हैं। पहले चरण में ए़क दर्जन से अधिक संस्कृत इंटर कालेज खोले जाएंगे।