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पदोन्नत्ति को लेकर हाईकोर्ट सख्त: सचिव बेसिक शिक्षा परिषद प्रयागराज को हाईकोर्ट के आदेश का पालन करने के लिए मिला 3 सप्ताह का समय

 पदोन्नत्ति को लेकर उच्च न्यायालय इलाहाबाद खंडपीठ, लखनऊ द्वारा पारित अंतरिम आदेश दिनांक 29.01.2024 के संदर्भ में दाखिल अवमानना याचिका पर हुई सुनवाई में सचिव बेसिक शिक्षा परिषद- प्रयागराज को आदेशित किया है कि तीन सप्ताह में आदेश का अनुपालन करें वरना न्यायालय के समक्ष हाज़िर हो और कारण बताएं।

याचिकाकर्ता शिक्षक हिमांशु राणा की तरफ़ से वरिष्ठ अधिवक्ता अमरेन्द्र नाथ त्रिपाठी और दुर्गा प्रसाद शुक्ला ने जस्टिस माथुर के समक्ष पक्ष रखते हुए बताया कि न्यायालय ने सरकार को आदेशित किया था कि सरकार बेसिक शिक्षा नियमावली के Rule-18 के अनुसार किसी को पदोन्नत्ति न देकर NCTE द्वारा जारी की गई अधिसूचना दिनांक




11.09.2023 के अनुसार ऐसे शिक्षक जिन्होंने टेट परीक्षा उत्तीर्ण कर रखी है उनको पदोन्नत्त कर सकती है जो कि लम्बित याचिका के अधीन रहेंगे। मा० उच्च न्यायालय इलाहाबाद खंडपीठ लखनऊ द्वारा पारित अंतरिम आदेश दिनांक 29.01.2024 के बाद भी सचिव बेसिक शिक्षा परिषद प्रयागराज ने दिनांक 21.05.2024 को एक पत्र जारी करते हुए कम्पोजिट विद्यालय में प्राथमिक के हेड को जूनियर का सहायक बना दिया था (जिसमें अंतरिम आदेशानुसार टेट उत्तीर्ण करने का उल्लेख नहीं था) जो कि अंतरिम आदेश दिनांक


29.01.2024 की अवज्ञा है जिस पर शिक्षक हिमांशु राणा ने सचिव बेसिक शिक्षा परिषद प्रयागराज के पत्र दिनांक 21.05.2024 को अवमानना याचिका से चुनौती दी है जिसकी सुनवाई अब अगले माह दिसम्बर के मध्य में होगी। याचिककर्ता हिमांशु राणा का कहना है कि NCTE जो कि शिक्षकों की न्यूनतम अहर्ता को तय करती है ने वर्ष 2014 में पदोन्नत्ति हेतु अधिसूचना जारी की थी जिसमें शिक्षकों को एक पायदान से दूसरे पायदान पर जाने के लिए (पदोन्नत्ति) टेट परीक्षा उत्तीर्ण करनी अनिवार्य की थी परंतु राज्य सरकार ने आजतक भी बेसिक शिक्षा नियमावली 1981 के Rule 18 जिस नियम के तहत राज्य के बेसिक शिक्षा विद्यालयों में पदोन्नत्ति होती है में आजतक किसी भी प्रकार का कोई संशोधन नहीं किया।

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