प्रयागराज। पीसीएस और आरओ/एआरओ प्रारंभिक परीक्षा दो दिन कराने और नॉर्मलाइजेशन (मानकीकरण) के विरोध में अभ्यर्थी सोमवार से उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग के सामने धरने पर बैठेंगे।
अभ्यर्थियों का कहना है कि पहले की भांति एक ही दिन में परीक्षा कराए और नॉर्मलाईजशन निरस्त करने का आयोग से नोटिस लेकर ही हटेंगे। धरना सुबह 11 बजे से शुरू होगा।
प्रतियोगी छात्र राजन त्रिपाठी, युगल पांडेय, प्रियांशु श्रीवास्तव, नितिन प्रताप और आशीष सुमन ने शनिवार को प्रेस क्लब में कहा, भर्ती प्रक्रिया के बीच आयोग की ओर से किया गया बदलाव किसी
तरप्रदेश
भी अभ्यर्थी को मंजूर नहीं है।
यह बदलाव उन गरीब छात्रों के साथ धोखा है, जिनके मां-बाप के सपने और बहन की विदाई, इस परीक्षा में अभ्यर्थी की सफलता और असफलता पर निर्भर करती है।
धरने में उत्तर प्रदेश के साथ दिल्ली, उत्तरांखड, मध्य प्रदेश और अन्य राज्यों के करीब आठ हजार अभ्यर्थियों के शामिल होने की उम्मीद है। इस मसले पर आठ नवंबर को दिल्ली में कैंडल मार्च
निकाला गया। अभ्यर्थियों ने कहा कि दो दिन परीक्षा कराने और नॉर्मलाईजशन के खिलाफ 15 अक्तूबर को आयोग में ज्ञापन दिया गया था, लेकिन जवाब नहीं मिला। 21 अक्तूबर को आयोग को घेराव किया तो सचिव ने अभ्यर्थियों
के बीच आकर कहा कि तीन दिन में स्थिति से अवगत करा दिया जाएगा, लेकिन जवाब नहीं आया। एक दिन अचानक दो दिन परीक्षा कराने और नॉर्मलाइजेशन का नोटिस जारी कर दिया गया। ऐसे में अभ्यर्थी धरना देने को मजबूर हैं।
अभ्यर्थियों ने गिनाए मानकीकरण के नुकसान
आयोग ने सिर्फ पर्सेटाइल स्कोर का फॉर्मूला सार्वजनिक किया है। मानकीकरण कैसे होगा, यह स्पष्ट नहीं किया है। एक परीक्षा के लिए सामान्य अध्ययन के दो अलग-अलग पेपर होंगे। यह कैसे तय होगा कि सामान्य अध्ययन का कोई भी सवाल किसके लिए कठिन और किसके लिए आसान है। नॉर्मलाइजेशन के फॉर्मूले के अनुसार, जिस शिफ्ट में उपस्थित अभ्यर्थियों की संख्या कम होगी, वहां पसेंटाइल स्कोर उच्च होगा। ऐसे में नॉर्मलाइजेशन के किस फार्मूले के तहत एक समान मूल्यांकन संभव है। आयोग ने जनसूचना अधिकार के तहत एक सवाल के जवाब में बताया था कि पीसीएस-2019 और 2020 की प्रारंभिक परीक्षा में 38 सवाल गलत होने पर बदले गए थे। भविष्य अलग-अलग शिफ्ट में होने वाली परीक्षाओं में गलत सवाल पूछे गए तो मानकीकरण कैसे होगा।